ज़रा सी बात पर बरसों के याराने गए; इतना तो हुआ पर कुछ लोग पहचाने गए। |
दुश्मनों से मोहब्बत होने लगी है मुझे; जैसे-जैसे दोस्तों को आज़माते जा रह हूं मैं... |
क्या फ़र्क है दोस्ती और मोहब्बत में, रहते तो दोनों दिल में ही हैं लेकिन फ़र्क तो है; बरसों बाद मिलने पर दोस्ती सीने से लगा लेती है, और मोहब्बत नज़र चुरा लेती है। |
लोगों को कहते सुना अक्सर; ज़िंदा रहे तो फिर मिलेंगे; मगर इस दिल ने महसूस किया है; मिलते रहेंगे तो ज़िंदा रहेंगे। |
सबसे खफा हो जाना, मगर उससे खफा ना होना; जिसका जहां में तुम्हारे सिवा कोई और ना हो। |
दोस्त बनकर भी नहीं साथ निभानेवाला; वही अंदाज़ है ज़ालिम का ज़मानेवाला। |
दोस्ती में दोस्त, दोस्त का ख़ुदा होता है; महसूस तब होता है जब दोस्त, दोस्त से जुदा होता है। |
फसलों से इंतज़ार बढा करता है; इंतज़ार से प्यार बढ़ा करता है; सारी ज़िंदगी ख़ुदा से सजदा करो तब जा के; तुम्हारे जैसा यार मिला करता है। |
दोस्ती तो सिर्फ एक इत्तेफ़ाक़ है; यह तो दिलों की मुलाक़ात है; दोस्ती नहीं देखती यह दिन है कि रात; इसमें तो सिर्फ वफ़ादारी और जज़्बात है। |
सालों बाद ना जाने क्या समय होगा; हम सब दोस्तों में से ना जाने कौन कहाँ होगा; फिर मिलना हुआ तो मिलेंगे ख्वाबों में; जैसे सूखे गुलाब मिलते हैं किताबों में। |