साकी और शराब Hindi Shayari

  • मैं उनकी आँखो से छलकती शराब पीता हूँ;<br />
गरीब हो कर भी मँहगी शराब पीता हूँ;<br />
मुझे नशे में वो बहकने नहीं देते;<br />
उन्हें तो खबर ही नहीं कि मैं कितनी शराब पीता हूँ।Upload to Facebook
    मैं उनकी आँखो से छलकती शराब पीता हूँ;
    गरीब हो कर भी मँहगी शराब पीता हूँ;
    मुझे नशे में वो बहकने नहीं देते;
    उन्हें तो खबर ही नहीं कि मैं कितनी शराब पीता हूँ।
  • फिर ना पीने की कसम खा लूँगा;<br/>
साथ जीने की कसम खा लूँगा;<br/>
एक बार अपनी आँखों से पिला दे साकी;<br/>
शराफत से जीने की कसम खा लूँगा।<br/>Upload to Facebook
    फिर ना पीने की कसम खा लूँगा;
    साथ जीने की कसम खा लूँगा;
    एक बार अपनी आँखों से पिला दे साकी;
    शराफत से जीने की कसम खा लूँगा।
  • ना पीने का शौक था, ना पिलाने का शौक था;<br/>
हमे तो सिर्फ नज़र मिलाने का शौक था;<br/>
पर क्या करे यारो, हम नज़र ही उनसे मिला बैठे;<br/>
जिन्हें सिर्फ नज़रों से पिलाने का शौक था।Upload to Facebook
    ना पीने का शौक था, ना पिलाने का शौक था;
    हमे तो सिर्फ नज़र मिलाने का शौक था;
    पर क्या करे यारो, हम नज़र ही उनसे मिला बैठे;
    जिन्हें सिर्फ नज़रों से पिलाने का शौक था।
  • ग़म इस कदर मिला कि घबरा के पी गए;<br/>
ख़ुशी थोड़ी सी मिली तो मिला के पी गए;<br/>
यूँ तो ना थे जन्म से पीने की आदत;<br/>
शराब को तनहा देखा तो तरस खा के पी गए।Upload to Facebook
    ग़म इस कदर मिला कि घबरा के पी गए;
    ख़ुशी थोड़ी सी मिली तो मिला के पी गए;
    यूँ तो ना थे जन्म से पीने की आदत;
    शराब को तनहा देखा तो तरस खा के पी गए।
  • पैमाना कहे है कोई मय-ख़ाना कहे है;
    दुनिया तेरी आँखों को भी क्या क्या न कहे है।
    ~ Mir Taqi Mir
  • महकता हुआ जिस्म तेरा गुलाब जैसा है;<br/>
नींद के सफर में तू एक ख्वाब जैसा है;<br/>
दो घूँट पी लेने दे आँखों के इस प्याले से;<br/>
नशा तेरी आँखों का शराब के जाम जैसा है।Upload to Facebook
    महकता हुआ जिस्म तेरा गुलाब जैसा है;
    नींद के सफर में तू एक ख्वाब जैसा है;
    दो घूँट पी लेने दे आँखों के इस प्याले से;
    नशा तेरी आँखों का शराब के जाम जैसा है।
  • मेरे दिल के कोने से एक आवाज़ आती है;<br/>
कहाँ गयी वो ज़ालिम जो तुझे तड़पाती है;<br/>
जिस्म से रूह तक उतरने की थी ख्वाहिश तेरी;<br/>
और अब एक शराब है जो तेरा साथ निभाती है।Upload to Facebook
    मेरे दिल के कोने से एक आवाज़ आती है;
    कहाँ गयी वो ज़ालिम जो तुझे तड़पाती है;
    जिस्म से रूह तक उतरने की थी ख्वाहिश तेरी;
    और अब एक शराब है जो तेरा साथ निभाती है।
  • नशा हम किया करते है, इलज़ाम शराब को दिया करते हैं;
    कसूर शराब का नहीं उनका है जिनका चेहरा हम जाम में तलाश किया करते हैं।
  • कुछ नशा तो आपकी बात का है;
    कुछ नशा तो धीमी बरसात का है;
    हमें आप यूँ ही शराबी ना कहिये;
    इस दिल पर असर तो आप से मुलाकात का है।
  • नशा हम करते हैं, इल्ज़ाम शराब को दिया जाता है;<br/>
मगर इल्ज़ाम शराब का नहीं उनका है;<br/>
जिनका चेहरा हमें हर जाम में नज़र आता है।Upload to Facebook
    नशा हम करते हैं, इल्ज़ाम शराब को दिया जाता है;
    मगर इल्ज़ाम शराब का नहीं उनका है;
    जिनका चेहरा हमें हर जाम में नज़र आता है।