Aitbar Sajid Hindi Shayari

  • भीड़ है बर-सर-ए-बाज़ार कहीं और चलें;<br/>
आ मेरे दिल मेरे ग़म-ख़्वार कहीं और चलें।Upload to Facebook
    भीड़ है बर-सर-ए-बाज़ार कहीं और चलें;
    आ मेरे दिल मेरे ग़म-ख़्वार कहीं और चलें।
    ~ Aitbar Sajid
  • मेरी रातों की राहत, दिन के इत्मिनान ले जाना;<br />
तुम्हारे काम आ जायेगा, यह सामान ले जाना;<br />

तुम्हारे बाद क्या रखना अना से वास्ता कोई;<br />
तुम अपने साथ मेरा उम्र भर का मान ले जाना।Upload to Facebook
    मेरी रातों की राहत, दिन के इत्मिनान ले जाना;
    तुम्हारे काम आ जायेगा, यह सामान ले जाना;
    तुम्हारे बाद क्या रखना अना से वास्ता कोई;
    तुम अपने साथ मेरा उम्र भर का मान ले जाना।
    ~ Aitbar Sajid