Bahadur Shah Zafar Hindi Shayari

  • बात करनी मुझे मुश्किल कभी ऐसी तो न थी;<br/>
जैसी अब है तिरी महफ़िल कभी ऐसी तो न थी!Upload to Facebook
    बात करनी मुझे मुश्किल कभी ऐसी तो न थी;
    जैसी अब है तिरी महफ़िल कभी ऐसी तो न थी!
    ~ Bahadur Shah Zafar
  • देखिए, देते हैं इस पर आप हमको क्या सज़ा,<br/>
दे दिया दिल तुमको ये तकसीर' हमने की तो है;
ज़ोर पर आया है जय सौदा'-ए-जुल्फे-पुरशिकन,<br/>
टुकड़े-टुकड़े तोड़कर जंजीर हमने की तो है!Upload to Facebook
    देखिए, देते हैं इस पर आप हमको क्या सज़ा,
    दे दिया दिल तुमको ये तकसीर' हमने की तो है; ज़ोर पर आया है जय सौदा'-ए-जुल्फे-पुरशिकन,
    टुकड़े-टुकड़े तोड़कर जंजीर हमने की तो है!
    ~ Bahadur Shah Zafar
  • आज वस्ले-यार की तदवीर हमने की तो है,<br/>
हो न हो, पर कोशिशे-तकदीर हमने की तो है;<br/>
जी डरे है, काग़जे-कासिद न जल जाएं कहीं,<br/>
सोजिशे-दिल', खत में कुछ तहरीर हमने की तो है!Upload to Facebook
    आज वस्ले-यार की तदवीर हमने की तो है,
    हो न हो, पर कोशिशे-तकदीर हमने की तो है;
    जी डरे है, काग़जे-कासिद न जल जाएं कहीं,
    सोजिशे-दिल', खत में कुछ तहरीर हमने की तो है!
    ~ Bahadur Shah Zafar
  • कहां तक चुप रहूँ, चुपके रहने से कुछ नहीं होता,<br/>
कहूँ तो क्या कहूँ उनसे, कहे से कुछ नहीं होता;<br/>
नहीं मुमकिन कि आए रहम उनको ऐ जफर मुहा पर,<br/>
सहूँ जसके सितम क्या में, सहे से कुछ नहीं होता!Upload to Facebook
    कहां तक चुप रहूँ, चुपके रहने से कुछ नहीं होता,
    कहूँ तो क्या कहूँ उनसे, कहे से कुछ नहीं होता;
    नहीं मुमकिन कि आए रहम उनको ऐ जफर मुहा पर,
    सहूँ जसके सितम क्या में, सहे से कुछ नहीं होता!
    ~ Bahadur Shah Zafar
  • लगता नहीं है दिल मेरा उजड़े दयार में,<br/>
किसकी बनी है आलमे नापायदार में;<br/>
बुलबुल को बागवां से न सैय्याद से गिला,<br/>
किस्मत में कैद लिखी थी, फसले बहार में!Upload to Facebook
    लगता नहीं है दिल मेरा उजड़े दयार में,
    किसकी बनी है आलमे नापायदार में;
    बुलबुल को बागवां से न सैय्याद से गिला,
    किस्मत में कैद लिखी थी, फसले बहार में!
    ~ Bahadur Shah Zafar
  • है कितना बदनसीब 'ज़फ़र' दफ़्त के लिए;<br/>
दो गज़ ज़मीन भी न मिली कू-ए-यार में!Upload to Facebook
    है कितना बदनसीब 'ज़फ़र' दफ़्त के लिए;
    दो गज़ ज़मीन भी न मिली कू-ए-यार में!
    ~ Bahadur Shah Zafar
  • आप की खातिर से हम करते हैं जब्त-ए-इज्तिराब;<br/>
देखकर बेताब मुझको और घबराते हैं आप।<br/><br/>
Meaning:<br/>
1. जब्त-ए-इज्तिराब - बेचैनी या बेकरारी पर काबू <br/>
2. बेताब - व्याकुल, बेचैनUpload to Facebook
    आप की खातिर से हम करते हैं जब्त-ए-इज्तिराब;
    देखकर बेताब मुझको और घबराते हैं आप।

    Meaning:
    1. जब्त-ए-इज्तिराब - बेचैनी या बेकरारी पर काबू
    2. बेताब - व्याकुल, बेचैन
    ~ Bahadur Shah Zafar
  • उम्र-ए-दराज मॉंग कर लाये थे चार दिन, दो आरजू में कट गये, दो इंतज़ार में;<br/>
कितना है बदनसीब 'जफर', दफ्न के लिये दो गज जमीं भी न मिली कू-ए-यार में।<br/><br/>
Meaning:<br/>
 उम्र-ए-दराज - लंबी, तवील <br/>
 कू-ए-यार - प्रेमिका की गलीUpload to Facebook
    उम्र-ए-दराज मॉंग कर लाये थे चार दिन, दो आरजू में कट गये, दो इंतज़ार में;
    कितना है बदनसीब 'जफर', दफ्न के लिये दो गज जमीं भी न मिली कू-ए-यार में।

    Meaning:
    उम्र-ए-दराज - लंबी, तवील
    कू-ए-यार - प्रेमिका की गली
    ~ Bahadur Shah Zafar
  • सब मिटा दें दिल से, हैं जितनी कि उस में ख़्वाहिशें;<br/>
गर हमें मालूम हो कुछ उस की ख़्वाहिश और है।Upload to Facebook
    सब मिटा दें दिल से, हैं जितनी कि उस में ख़्वाहिशें;
    गर हमें मालूम हो कुछ उस की ख़्वाहिश और है।
    ~ Bahadur Shah Zafar