Bashir Badr Hindi Shayari

  • मुझ में रहता है कोई दुश्मन-ए-जानी मेरा,<br />
ख़ुद से तन्हाई में मिलते हुए डर लगता है;<br />
बुत भी रखे हैं नमाज़ें भी अदा होती हैं,<br />
दिल मेरा दिल नहीं अल्लाह का घर लगता है!<br /><br />
*बुत: मूर्तियों<br />
*अदा: चुकानाUpload to Facebook
    मुझ में रहता है कोई दुश्मन-ए-जानी मेरा,
    ख़ुद से तन्हाई में मिलते हुए डर लगता है;
    बुत भी रखे हैं नमाज़ें भी अदा होती हैं,
    दिल मेरा दिल नहीं अल्लाह का घर लगता है!

    *बुत: मूर्तियों
    *अदा: चुकाना
    ~ Bashir Badr
  • सर से पा तक वो गुलाबों का शजर लगता है,<br />
बा-वज़ू हो के भी छूते हुए डर लगता है;<br />
मैं तेरे साथ सितारों से गुज़र सकता हूँ,<br />
कितना आसान मोहब्बत का सफ़र लगता है!<br /><br />
*बा-वज़ू: शुद्ध और स्वच्छUpload to Facebook
    सर से पा तक वो गुलाबों का शजर लगता है,
    बा-वज़ू हो के भी छूते हुए डर लगता है;
    मैं तेरे साथ सितारों से गुज़र सकता हूँ,
    कितना आसान मोहब्बत का सफ़र लगता है!

    *बा-वज़ू: शुद्ध और स्वच्छ
    ~ Bashir Badr
  • जिस दिन से चला हूँ मेरी मंज़िल पे नज़र है,</br>
आँखों ने कभी मील का पत्थर नहीं देखा;</br>
ये फूल मुझे कोई विरासत में मिले हैं,</br>
तुम ने मेरा काँटों भरा बिस्तर नहीं देखा!Upload to Facebook
    जिस दिन से चला हूँ मेरी मंज़िल पे नज़र है,
    आँखों ने कभी मील का पत्थर नहीं देखा;
    ये फूल मुझे कोई विरासत में मिले हैं,
    तुम ने मेरा काँटों भरा बिस्तर नहीं देखा!
    ~ Bashir Badr
  • मैंने दिन रात ख़ुदा से ये दुआ माँगी थी;</br>
कोई आहट न हो दर पर मेरे जब तू आए!Upload to Facebook
    मैंने दिन रात ख़ुदा से ये दुआ माँगी थी;
    कोई आहट न हो दर पर मेरे जब तू आए!
    ~ Bashir Badr
  • मुसाफ़िर हैं हम भी मुसाफ़िर हो तुम भी;</br>
किसी मोड़ पर फिर मुलाक़ात होगी!Upload to Facebook
    मुसाफ़िर हैं हम भी मुसाफ़िर हो तुम भी;
    किसी मोड़ पर फिर मुलाक़ात होगी!
    ~ Bashir Badr
  • यारों की मोहब्बत का यकीन कर लिया मैंने,</br>
फूलों में छुपाया हुआ ख़ंजर नहीं देखा;</br>
महबूब का घर हो कि बुज़ुर्गों की ज़मीनें,</br>
जो छोड़ दिया फिर उसे मुड़ कर नहीं देखा!Upload to Facebook
    यारों की मोहब्बत का यकीन कर लिया मैंने,
    फूलों में छुपाया हुआ ख़ंजर नहीं देखा;
    महबूब का घर हो कि बुज़ुर्गों की ज़मीनें,
    जो छोड़ दिया फिर उसे मुड़ कर नहीं देखा!
    ~ Bashir Badr
  • शबनम के आँसू फूल पर ये तो वही क़िस्सा हुआ;</br>
आँखें मेरी भीगी हुई चेहरा तेरा उतरा हुआ!Upload to Facebook
    शबनम के आँसू फूल पर ये तो वही क़िस्सा हुआ;
    आँखें मेरी भीगी हुई चेहरा तेरा उतरा हुआ!
    ~ Bashir Badr
  • आँखों में रहा दिल में उतर कर नहीं देखा,</br>
कश्ती के मुसाफ़िर ने समंदर नहीं देखा;</br>
बे-वक़्त अगर जाऊँगा सब चौंक पड़ेंगे,</br>
एक उम्र हुई दिन में कभी घर नहीं देखा!</br>Upload to Facebook
    आँखों में रहा दिल में उतर कर नहीं देखा,
    कश्ती के मुसाफ़िर ने समंदर नहीं देखा;
    बे-वक़्त अगर जाऊँगा सब चौंक पड़ेंगे,
    एक उम्र हुई दिन में कभी घर नहीं देखा!
    ~ Bashir Badr
  • कभी तो आसमाँ से चाँद उतरे जाम हो जाए;</br>
तुम्हारे नाम की एक ख़ूब-सूरत शाम हो जाए!Upload to Facebook
    कभी तो आसमाँ से चाँद उतरे जाम हो जाए;
    तुम्हारे नाम की एक ख़ूब-सूरत शाम हो जाए!
    ~ Bashir Badr
  • मैं बोलता हूँ तो इल्ज़ाम है बग़ावत का;</br>
मैं चुप रहूँ तो बड़ी बेबसी सी होती है!Upload to Facebook
    मैं बोलता हूँ तो इल्ज़ाम है बग़ावत का;
    मैं चुप रहूँ तो बड़ी बेबसी सी होती है!
    ~ Bashir Badr