कुछ दर्द की शिद्दत है कुछ पास-ए-मोहब्बत है; हम आह तो करते हैं फ़रियाद नहीं करते! |
कोई समझेगा क्या राज़-ए-गुलशन; जब तक उलझे न काँटों से दामन! |
तेरे वादों पे कहाँ तक मेरा दिल फ़रेब खाए: कोई ऐसा कर बहाना मेरी आस टूट जाए! |
दिल से अगर कभी तेरा अरमान जाएगा; घर को लगा के आग ये मेहमान जाएगा! |
दुनिया-ए-तसव्वुर हम आबाद नहीं करते; याद आते हो तुम ख़ुद ही हम याद नहीं करते! |
कोई पाबंद-ए-मोहब्बत ही बता सकता है; एक दीवाने का ज़ंजीर से रिश्ता क्या है! |