हम तो रात का मतलब समझें ख़्वाब, सितारे, चाँद, चिराग; आगे का अहवाल वो जाने जिस ने रात गुज़ारी हो! *अहवाल: परिस्थिति |
हमें तो ख़ैर बिखरना ही था कभी न कभी; हवा-ए-ताज़ा का झोंका बहाना हो गया है! |
अब आ गयी है सहर अपना घर सँभालने को; चलूँ कि जागा हुआ रात भर का मैं भी हूँ! |
बदन में जैसे लहू ताज़ियाना हो गया है; उसे गले से लगाए ज़माना हो गया है! |
तुम परिंदों से ज़्यादा तो नहीं हो आज़ाद; शाम होने को है अब घर की तरफ़ लौट चलो! |