Jameel Mazhari Hindi Shayari

  • जब खाक ही होना था मुझको तो खाक-ए-रह-ए-सहरा होता,<br/>
इक कोशिश-ए-पैहम तो होती, उड़ता होता, गिरता होता।<br/><br/>
 
1. खाक - धूल, रंज, गर्द, मिट्टी जमीन<br/>
2. खाक-ए-रह-ए-सहरा - मरूस्थल या रेगिस्तान के रास्ते की धूलUpload to Facebook
    जब खाक ही होना था मुझको तो खाक-ए-रह-ए-सहरा होता,
    इक कोशिश-ए-पैहम तो होती, उड़ता होता, गिरता होता।

    1. खाक - धूल, रंज, गर्द, मिट्टी जमीन
    2. खाक-ए-रह-ए-सहरा - मरूस्थल या रेगिस्तान के रास्ते की धूल
    ~ Jameel Mazhari