Jaun Elia Hindi Shayari

  • मिल रही हो बड़े तपाक के साथ;</br>
मुझ को यकसर भुला चुकी हो क्या!</br></br>
*तपाक: जोश</br>
*यकसर: बिलकुलUpload to Facebook
    मिल रही हो बड़े तपाक के साथ;
    मुझ को यकसर भुला चुकी हो क्या!

    *तपाक: जोश
    *यकसर: बिलकुल
    ~ Jaun Elia
  • उम्र गुज़रेगी इम्तिहान में क्या,</br>
दाग़ ही देंगे मुझ को दान में क्या;</br>
मेरी हर बात बे-असर ही रही,</br>
नक़्स है कुछ मेरे बयान में क्या!Upload to Facebook
    उम्र गुज़रेगी इम्तिहान में क्या,
    दाग़ ही देंगे मुझ को दान में क्या;
    मेरी हर बात बे-असर ही रही,
    नक़्स है कुछ मेरे बयान में क्या!
    ~ Jaun Elia
  • आईनों को ज़ंग लगा;</br>
अब मैं कैसा लगता हूँ!Upload to Facebook
    आईनों को ज़ंग लगा;
    अब मैं कैसा लगता हूँ!
    ~ Jaun Elia
  • ये काफ़ी है कि हम दुश्मन नहीं हैं,</br>
वफ़ा-दारी का दावा क्यों करें हम;</br>
वफ़ा इख़्लास क़ुर्बानी मोहब्बत,</br>
अब इन लफ़्ज़ों का पीछा क्यों करें हम!</br>
*इख़्लास: सच्चा और निष्कपट प्रेम
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    ये काफ़ी है कि हम दुश्मन नहीं हैं,
    वफ़ा-दारी का दावा क्यों करें हम;
    वफ़ा इख़्लास क़ुर्बानी मोहब्बत,
    अब इन लफ़्ज़ों का पीछा क्यों करें हम!
    *इख़्लास: सच्चा और निष्कपट प्रेम
    ~ Jaun Elia
  • शब जो हम से हुआ माफ़ करो;
नहीं पी थी बहक गए होंगे!Upload to Facebook
    शब जो हम से हुआ माफ़ करो; नहीं पी थी बहक गए होंगे!
    ~ Jaun Elia, *शब: रात
  • अब मेरी कोई ज़िंदगी ही नहीं;</br>
अब भी तुम मेरी ज़िंदगी हो क्या!Upload to Facebook
    अब मेरी कोई ज़िंदगी ही नहीं;
    अब भी तुम मेरी ज़िंदगी हो क्या!
    ~ Jaun Elia
  • मुझ को तो कोई टोकता भी नहीं,</br>
यही होता है ख़ानदान में क्या;</br>
अपनी महरूमियाँ छुपाते हैं,</br>
हम ग़रीबों की आन-बान में क्या!Upload to Facebook
    मुझ को तो कोई टोकता भी नहीं,
    यही होता है ख़ानदान में क्या;
    अपनी महरूमियाँ छुपाते हैं,
    हम ग़रीबों की आन-बान में क्या!
    ~ Jaun Elia
  • कितने ऐश से रहते होंगे कितने इतराते होंगे,</br>
जाने कैसे लोग वो होंगे जो उस को भाते होंगे;</br>
शाम हुए ख़ुश-बाश यहाँ के मेरे पास आ जाते हैं,</br>
मेरे बुझने का नज़ारा करने आ जाते होंगे!Upload to Facebook
    कितने ऐश से रहते होंगे कितने इतराते होंगे,
    जाने कैसे लोग वो होंगे जो उस को भाते होंगे;
    शाम हुए ख़ुश-बाश यहाँ के मेरे पास आ जाते हैं,
    मेरे बुझने का नज़ारा करने आ जाते होंगे!
    ~ Jaun Elia
  • नया एक रिश्ता पैदा क्यों करें हम,</br>
बिछड़ना है तो झगड़ा क्यों करें हम;</br>
ख़मोशी से अदा हो रस्म-ए-दूरी,</br>
कोई हंगामा बरपा क्यों करें हम!</br></br>
*बरपा: होनाUpload to Facebook
    नया एक रिश्ता पैदा क्यों करें हम,
    बिछड़ना है तो झगड़ा क्यों करें हम;
    ख़मोशी से अदा हो रस्म-ए-दूरी,
    कोई हंगामा बरपा क्यों करें हम!

    *बरपा: होना
    ~ Jaun Elia
  • हमारी ही तमन्ना क्यों करो तुम;<br/>
तुम्हारी ही तमन्ना क्यों करें हम!Upload to Facebook
    हमारी ही तमन्ना क्यों करो तुम;
    तुम्हारी ही तमन्ना क्यों करें हम!
    ~ Jaun Elia