Kaifi Azmi Hindi Shayari

  • वो पल कि जिस में मोहब्बत जवान होती है,</br>
उस एक पल का तुझे इंतज़ार है कि नहीं;</br>
तेरी उम्मीद पे ठुकरा रहा हूँ दुनिया को,</br>
तुझे भी अपने पे ये ऐतबार है कि नहीं!Upload to Facebook
    वो पल कि जिस में मोहब्बत जवान होती है,
    उस एक पल का तुझे इंतज़ार है कि नहीं;
    तेरी उम्मीद पे ठुकरा रहा हूँ दुनिया को,
    तुझे भी अपने पे ये ऐतबार है कि नहीं!
    ~ Kaifi Azmi
  • पेड़ के काटने वालों को ये मालूम तो था;</br>
जिस्म जल जाएँगे जब सर पे न साया होगा!Upload to Facebook
    पेड़ के काटने वालों को ये मालूम तो था;
    जिस्म जल जाएँगे जब सर पे न साया होगा!
    ~ Kaifi Azmi
  • मेरा बचपन भी साथ ले आया;</br>
गाँव से जब भी आ गया कोई!Upload to Facebook
    मेरा बचपन भी साथ ले आया;
    गाँव से जब भी आ गया कोई!
    ~ Kaifi Azmi
  • बहार आए तो मेरा सलाम कह देना;<br/>
मुझे तो आज तलब कर लिया है सहरा ने!Upload to Facebook
    बहार आए तो मेरा सलाम कह देना;
    मुझे तो आज तलब कर लिया है सहरा ने!
    ~ Kaifi Azmi
  • झुकी झुकी सी नज़र बे-क़रार है कि नहीं; <br/>
दबा दबा सा सही दिल में प्यार है कि नहीं!Upload to Facebook
    झुकी झुकी सी नज़र बे-क़रार है कि नहीं;
    दबा दबा सा सही दिल में प्यार है कि नहीं!
    ~ Kaifi Azmi
  • इंसाँ की ख़्वाहिशों की कोई इंतिहा नहीं;<br/>
दो गज़ ज़मीं भी चाहिए दो गज़ कफ़न के बाद!Upload to Facebook
    इंसाँ की ख़्वाहिशों की कोई इंतिहा नहीं;
    दो गज़ ज़मीं भी चाहिए दो गज़ कफ़न के बाद!
    ~ Kaifi Azmi
  • क्या जाने किसी की प्यास बुझाने किधर गयीं;<br/>
उस सिर पे झूम के जो घटाएँ गुज़र गयीं!Upload to Facebook
    क्या जाने किसी की प्यास बुझाने किधर गयीं;
    उस सिर पे झूम के जो घटाएँ गुज़र गयीं!
    ~ Kaifi Azmi
  • बस इक झिजक है यही हाल-ए-दिल सुनाने में;<br/>
कि तेरा ज़िक्र भी आएगा इस फ़साने में।Upload to Facebook
    बस इक झिजक है यही हाल-ए-दिल सुनाने में;
    कि तेरा ज़िक्र भी आएगा इस फ़साने में।
    ~ Kaifi Azmi
  • गर डूबना ही अपना मुक़द्दर है तो सुनो;<br/>
डूबेंगे हम ज़रूर मगर नाख़ुदा के साथ।<br/><br/>

Meaning:<br/>
नाख़ुदा  =  नाविकUpload to Facebook
    गर डूबना ही अपना मुक़द्दर है तो सुनो;
    डूबेंगे हम ज़रूर मगर नाख़ुदा के साथ।

    Meaning:
    नाख़ुदा = नाविक
    ~ Kaifi Azmi
  • बरस पड़ी थी जो रुख़ से नक़ाब उठाने में;<br/>
वो चाँदनी है अभी तक मेरे ग़रीब-ख़ाने में|Upload to Facebook
    बरस पड़ी थी जो रुख़ से नक़ाब उठाने में;
    वो चाँदनी है अभी तक मेरे ग़रीब-ख़ाने में|
    ~ Kaifi Azmi