वो पल कि जिस में मोहब्बत जवान होती है, उस एक पल का तुझे इंतज़ार है कि नहीं; तेरी उम्मीद पे ठुकरा रहा हूँ दुनिया को, तुझे भी अपने पे ये ऐतबार है कि नहीं! |
पेड़ के काटने वालों को ये मालूम तो था; जिस्म जल जाएँगे जब सर पे न साया होगा! |
मेरा बचपन भी साथ ले आया; गाँव से जब भी आ गया कोई! |
बहार आए तो मेरा सलाम कह देना; मुझे तो आज तलब कर लिया है सहरा ने! |
झुकी झुकी सी नज़र बे-क़रार है कि नहीं; दबा दबा सा सही दिल में प्यार है कि नहीं! |
इंसाँ की ख़्वाहिशों की कोई इंतिहा नहीं; दो गज़ ज़मीं भी चाहिए दो गज़ कफ़न के बाद! |
क्या जाने किसी की प्यास बुझाने किधर गयीं; उस सिर पे झूम के जो घटाएँ गुज़र गयीं! |
बस इक झिजक है यही हाल-ए-दिल सुनाने में; कि तेरा ज़िक्र भी आएगा इस फ़साने में। |
गर डूबना ही अपना मुक़द्दर है तो सुनो; डूबेंगे हम ज़रूर मगर नाख़ुदा के साथ। Meaning: नाख़ुदा = नाविक |
बरस पड़ी थी जो रुख़ से नक़ाब उठाने में; वो चाँदनी है अभी तक मेरे ग़रीब-ख़ाने में| |