Mir Taqi Mir Hindi Shayari

  • 'मीर' अमदन भी कोई मरता है;</br>
जान है तो जहान है प्यारे।Upload to Facebook
    'मीर' अमदन भी कोई मरता है;
    जान है तो जहान है प्यारे।
    ~ Mir Taqi Mir
  • अब जो एक हसरत-ए-जवानी है;</br>
उम्र-ए-रफ़्ता की ये निशानी है!Upload to Facebook
    अब जो एक हसरत-ए-जवानी है;
    उम्र-ए-रफ़्ता की ये निशानी है!
    ~ Mir Taqi Mir
  • मेरा जी तो आँखों में आया ये सुनते;</br>
कि दीदार भी एक दिन आम होगा!</br></br>
*जी: दिलUpload to Facebook
    मेरा जी तो आँखों में आया ये सुनते;
    कि दीदार भी एक दिन आम होगा!

    *जी: दिल
    ~ Mir Taqi Mir
  • वस्ल में रंग उड़ गया मेरा;</br>
क्या जुदाई को मुँह दिखाऊँगा!</br></br>
 *वस्ल: मिलन  Upload to Facebook
    वस्ल में रंग उड़ गया मेरा;
    क्या जुदाई को मुँह दिखाऊँगा!

    *वस्ल: मिलन
    ~ Mir Taqi Mir
  • फिरते है मीर अब कहाँ, कोई पूछता नहीं;<br/>
इस आशिक़ी में इज़्ज़त सादात भी गयी!Upload to Facebook
    फिरते है मीर अब कहाँ, कोई पूछता नहीं;
    इस आशिक़ी में इज़्ज़त सादात भी गयी!
    ~ Mir Taqi Mir
  • मेह वो क्यों बहुत पीते बज़्म-ऐ-ग़ैर में या रब;<br/>
आज ही हुआ मंज़ूर उन को इम्तिहान अपना;<br/>
मँज़र इक बुलंदी पर और हम बना सकते `ग़ालिब`;<br/>
अर्श से इधर होता काश के माकन अपना!Upload to Facebook
    मेह वो क्यों बहुत पीते बज़्म-ऐ-ग़ैर में या रब;
    आज ही हुआ मंज़ूर उन को इम्तिहान अपना;
    मँज़र इक बुलंदी पर और हम बना सकते `ग़ालिब`;
    अर्श से इधर होता काश के माकन अपना!
    ~ Mir Taqi Mir
  • फिरते है मीर अब कहाँ ,कोई पूछता नहीं;<br/>
इस आशिक़ी में इज़्ज़त सादात भी गयीUpload to Facebook
    फिरते है मीर अब कहाँ ,कोई पूछता नहीं;
    इस आशिक़ी में इज़्ज़त सादात भी गयी
    ~ Mir Taqi Mir
  • वो आये बज़्म में इतना तो मीर ने देखा;<br/>
फिर उसके बाद चिरागो में रौशनी ही नहीं रही!
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    वो आये बज़्म में इतना तो मीर ने देखा;
    फिर उसके बाद चिरागो में रौशनी ही नहीं रही!
    ~ Mir Taqi Mir
  • शर्मिंदा होंगे, जाने भी दो इम्तिहान को;<br/>
रखेगा तुम को कौन अज़ीज़, अपनी जान से!
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    शर्मिंदा होंगे, जाने भी दो इम्तिहान को;
    रखेगा तुम को कौन अज़ीज़, अपनी जान से!
    ~ Mir Taqi Mir
  • अब कर के फ़रामोश तो नाशाद करोगे;<br/>
पर हम जो न होंगे तो बहुत याद करोगे।Upload to Facebook
    अब कर के फ़रामोश तो नाशाद करोगे;
    पर हम जो न होंगे तो बहुत याद करोगे।
    ~ Mir Taqi Mir