Mohsin Naqvi Hindi Shayari

  • ज़माने भर की निगाहों में जो खुदा सा लगे;<br/>
वो अजनबी है मगर मुझ को आशना सा लगे;<br/>
न जाने कब मेरी दुनिया में मुस्कुराएगा;<br/>
वो  शख्स जो ख्वाबों में भी खफा सा लगे।Upload to Facebook
    ज़माने भर की निगाहों में जो खुदा सा लगे;
    वो अजनबी है मगर मुझ को आशना सा लगे;
    न जाने कब मेरी दुनिया में मुस्कुराएगा;
    वो शख्स जो ख्वाबों में भी खफा सा लगे।
    ~ Mohsin Naqvi
  • बस एक ही गलती हम सारी ज़िन्दगी करते रहे मोहसिन;<br/>
धूल चेहरे पर थी और हम आईना साफ़ करते रहे।Upload to Facebook
    बस एक ही गलती हम सारी ज़िन्दगी करते रहे मोहसिन;
    धूल चेहरे पर थी और हम आईना साफ़ करते रहे।
    ~ Mohsin Naqvi