Mohsin Naqvi Hindi Shayari

  • इसी ख्याल से गुज़री है शाम-ए-दर्द अक्सर;
    कि दर्द हद से जो गुज़रेगा मुस्कुरा दूंगा।
    ~ Mohsin Naqvi
  • एक पल में ज़िन्दगी भर की उदासी दे गया;
    वो जुदा होते हुए कुछ फूल बासी दे गया;
    नोच कर शाखों के तन से खुश्क पत्तों का लिबास;
    ज़र्द मौसम बाँझ रुत को बे-लिबासी दे गया।
    ~ Mohsin Naqvi
  • ज़माने भर की निगाहों में जो खुदा सा लगे;<br/>
वो अजनबी है मगर मुझ को आशना सा लगे;<br/>
न जाने कब मेरी दुनिया में मुस्कुराएगा;<br/>
वो  शख्स जो ख्वाबों में भी खफा सा लगे।Upload to Facebook
    ज़माने भर की निगाहों में जो खुदा सा लगे;
    वो अजनबी है मगर मुझ को आशना सा लगे;
    न जाने कब मेरी दुनिया में मुस्कुराएगा;
    वो शख्स जो ख्वाबों में भी खफा सा लगे।
    ~ Mohsin Naqvi
  • देखी है बेरुखी की आज हम ने इन्तहा 'मोहसिन';
    हम पे नज़र पड़ी तो वो महफ़िल से उठ गए।
    ~ Mohsin Naqvi
  • उस की चाहत का भरम क्या रखना;
    दश्त-ए-हिजरां में क़दम क्या रखना;
    हँस भी लेना कभी खुद पर 'मोहसिन';
    हर घडी आँख को नम क्या रखना।
    ~ Mohsin Naqvi
  • ज़िन्दगी लोग जिसे मरहम-ए-ग़म जानते हैं;
    जिस तरह हम ने गुज़ारी है वो हम जानते हैं।
    ~ Mohsin Naqvi
  • हजूम में था, वो खुल कर ना रो सका होगा;
    मगर यकीन है कि शब् भर ना सो सका होगा।
    ~ Mohsin Naqvi
  • जो तेरी मुंतज़िर तीन वो आँखें ही बुझ गई;
    अब क्यों सजा रहा है चिरागों से शाम को।
    ~ Mohsin Naqvi
  • बस एक ही गलती हम सारी ज़िन्दगी करते रहे मोहसिन;<br/>
धूल चेहरे पर थी और हम आईना साफ़ करते रहे।Upload to Facebook
    बस एक ही गलती हम सारी ज़िन्दगी करते रहे मोहसिन;
    धूल चेहरे पर थी और हम आईना साफ़ करते रहे।
    ~ Mohsin Naqvi