Riyaz Khairabadi Hindi Shayari

  • ग़म मुझे देते हो औरों की ख़ुशी के वास्ते;</br>
क्यों बुरे बनते हो तुम नाहक़ किसी के वास्ते!</br></br>
*नाहक़: अनुचित रूप से और अकारणUpload to Facebook
    ग़म मुझे देते हो औरों की ख़ुशी के वास्ते;
    क्यों बुरे बनते हो तुम नाहक़ किसी के वास्ते!

    *नाहक़: अनुचित रूप से और अकारण
    ~ Riyaz Khairabadi
  • रोते जो आए थे रुला के गए;</br>
इब्तिदा इंतेहा को रोते हैं!Upload to Facebook
    रोते जो आए थे रुला के गए;
    इब्तिदा इंतेहा को रोते हैं!
    ~ Riyaz Khairabadi
  • क्या शक्ल है वस्ल में किसी की;<br/>
तस्वीर हैं अपनी बेबसी की!Upload to Facebook
    क्या शक्ल है वस्ल में किसी की;
    तस्वीर हैं अपनी बेबसी की!
    ~ Riyaz Khairabadi