Riyaz Khairabadi Hindi Shayari

  • ग़म मुझे देते हो औरों की ख़ुशी के वास्ते;</br>
क्यों बुरे बनते हो तुम नाहक़ किसी के वास्ते!</br></br>
*नाहक़: अनुचित रूप से और अकारणUpload to Facebook
    ग़म मुझे देते हो औरों की ख़ुशी के वास्ते;
    क्यों बुरे बनते हो तुम नाहक़ किसी के वास्ते!

    *नाहक़: अनुचित रूप से और अकारण
    ~ Riyaz Khairabadi
  • रोते जो आए थे रुला के गए;</br>
इब्तिदा इंतेहा को रोते हैं!Upload to Facebook
    रोते जो आए थे रुला के गए;
    इब्तिदा इंतेहा को रोते हैं!
    ~ Riyaz Khairabadi
  • क्या शक्ल है वस्ल में किसी की;<br/>
तस्वीर हैं अपनी बेबसी की!Upload to Facebook
    क्या शक्ल है वस्ल में किसी की;
    तस्वीर हैं अपनी बेबसी की!
    ~ Riyaz Khairabadi
  • मय रहे, मीना रहे...

    मय रहे, मीना रहे, ग़र्दिश में पैमाना रहे;
    मेरे साक़ी तू रहे, आबाद मयखाना रहे;

    हश्र भी तो हो चुका, रुख़ से नहीं हटती नक़ाब;
    हद भी आख़िर कुछ है, कब तक कोई दीवाना रहे;

    रात को जा बैठते हैं, रोज़ हम मजनूं के पास;
    पहले अनबन रह चुकी है, अब तो याराना रहे;

    ज़िन्दगी का लुत्फ़ हो, उड़ती रहे हरदम रियाज़;
    हम हों, शीशे की परी हो,घर परीखाना रहे।
    ~ Riyaz Khairabadi
  • मय रहे, मीना रहे, ग़र्दिश में...

    मय रहे, मीना रहे, ग़र्दिश में पैमाना रहे;
    मेरे साक़ी तू रहे, आबाद मयखाना रहे;

    हश्र भी तो हो चुका, रुख़ से नहीं हटती नक़ाब;
    हद भी आख़िर कुछ है, कब तक कोई दीवाना रहे;

    रात को जा बैठते हैं, रोज़ हम मजनूं के पास;
    पहले अनबन रह चुकी है, अब तो याराना रहे;

    ज़िन्दगी का लुत्फ़ हो, उड़ती रहे हरदम रियाज़;
    हम हों, शीशे की परी हो,घर परीखाना रहे।
    ~ Riyaz Khairabadi
  • क्या मज़ा देती है बिजली की चमक मुझ को रियाज़;
    मुझ से लिपटे हैं मिरे नाम से डरने वाले।
    ~ Riyaz Khairabadi
  • क्या मज़ा देती है बिजली की चमक मुझ को 'रियाज़';
    मुझ से लिपटे हैं मेरे नाम से डरने वाले।
    ~ Riyaz Khairabadi