Shamsi Meenai Hindi Shayari

  • तेरी राह-ए-तलब में ज़ख़्म सब सीने पे खाये है;<br/>
बहार-ए-ग़ुलिस्तां मेरी हयात-ए-जावेदाँ मेरी!Upload to Facebook
    तेरी राह-ए-तलब में ज़ख़्म सब सीने पे खाये है;
    बहार-ए-ग़ुलिस्तां मेरी हयात-ए-जावेदाँ मेरी!
    ~ Shamsi Meenai
  • तेरी राह-ए-तलब में ज़ख़्म सब सीने पे खाये हैं;<br/>
बहार-ए-ग़ुलिस्तां मेरी हयात-ए-जावेदाँ मेरी!Upload to Facebook
    तेरी राह-ए-तलब में ज़ख़्म सब सीने पे खाये हैं;
    बहार-ए-ग़ुलिस्तां मेरी हयात-ए-जावेदाँ मेरी!
    ~ Shamsi Meenai
  • मुझे बख्शी ख़ुदा ने कौन रोकेगा ज़ुबाँ मेरी;<br/>
तुम्हें हर हाल में सुननी पड़ेगी दास्तां मेरी! Upload to Facebook
    मुझे बख्शी ख़ुदा ने कौन रोकेगा ज़ुबाँ मेरी;
    तुम्हें हर हाल में सुननी पड़ेगी दास्तां मेरी!
    ~ Shamsi Meenai
  • मेरी फितरत को क्या समझेंगे ये ख्वाब-ए-गर्दाँ वाले;<br/>
सवेरे के सितारे की चमक है राज़दाँ मेरी!Upload to Facebook
    मेरी फितरत को क्या समझेंगे ये ख्वाब-ए-गर्दाँ वाले;
    सवेरे के सितारे की चमक है राज़दाँ मेरी!
    ~ Shamsi Meenai
  • मेरी आंखों में आँसू हैं ना होठों पे तबस्सुम है;<br/>
समझ में क्या किसी की आयेगी तर्ज़-ए-फुगां मेरी! Upload to Facebook
    मेरी आंखों में आँसू हैं ना होठों पे तबस्सुम है;
    समझ में क्या किसी की आयेगी तर्ज़-ए-फुगां मेरी!
    ~ Shamsi Meenai
  • अब भी लोगों के दिल में ख़र की सूरत खटकता हूँ;<br/>
अभी तक याद है अहल-ए-चमन को दास्तां मेरी! Upload to Facebook
    अब भी लोगों के दिल में ख़र की सूरत खटकता हूँ;
    अभी तक याद है अहल-ए-चमन को दास्तां मेरी!
    ~ Shamsi Meenai