सफ़र पीछे की जानिब है क़दम आगे है मेरा; मैं बूढ़ा होता जाता हूँ जवाँ होने की ख़ातिर! |
मुस्कुराते हुए मिलता हूँ किसी से जो 'ज़फ़र'; साफ़ पहचान लिया जाता हूँ रोया हुआ मैं! |
अब वही करने लगे दीदार से आगे की बात; जो कभी कहते थे बस दीदार होना चाहिए! |
जिस से चाहा था, बिखरने से बचा ले मुझको; कर गया तुन्द हवाओं के हवाले मुझ को; मैं वो बुत हूँ कि तेरी याद मुझे पूजती है; फिर भी डर है ये कहीं तोड़ न डाले मुझको। |