Zafar Iqbal Hindi Shayari

  • सफ़र पीछे की जानिब है क़दम आगे है मेरा;</br>
मैं बूढ़ा होता जाता हूँ जवाँ होने की ख़ातिर!Upload to Facebook
    सफ़र पीछे की जानिब है क़दम आगे है मेरा;
    मैं बूढ़ा होता जाता हूँ जवाँ होने की ख़ातिर!
    ~ Zafar Iqbal
  • मुस्कुराते हुए मिलता हूँ किसी से जो 'ज़फ़र';</br>
साफ़ पहचान लिया जाता हूँ रोया हुआ मैं!Upload to Facebook
    मुस्कुराते हुए मिलता हूँ किसी से जो 'ज़फ़र';
    साफ़ पहचान लिया जाता हूँ रोया हुआ मैं!
    ~ Zafar Iqbal
  • अब वही करने लगे दीदार से आगे की बात;<br/>
जो कभी कहते थे बस दीदार होना चाहिए!Upload to Facebook
    अब वही करने लगे दीदार से आगे की बात;
    जो कभी कहते थे बस दीदार होना चाहिए!
    ~ Zafar Iqbal
  • जिस से चाहा था, बिखरने से बचा ले मुझको;<br />
कर गया तुन्द हवाओं के हवाले मुझ को;<br />
मैं वो बुत हूँ कि तेरी याद मुझे पूजती है;<br />
फिर भी डर है ये कहीं तोड़ न डाले मुझको।Upload to Facebook
    जिस से चाहा था, बिखरने से बचा ले मुझको;
    कर गया तुन्द हवाओं के हवाले मुझ को;
    मैं वो बुत हूँ कि तेरी याद मुझे पूजती है;
    फिर भी डर है ये कहीं तोड़ न डाले मुझको।
    ~ Zafar Iqbal