मैं चलता गया, रास्ते मिलते गये, राह के काँटे फूल बनकर खिलते गये; ये जादू नहीं, आशीर्वाद है मेरे अपनों का, वरना उसी राह पर लाखों फिसलते गये! |
उठती नहीं है आँख किसी और की तरफ; पाबंद कर गई है किसी की नजर मुझे! |
सारी उम्र बचाया मैंने अपना दामन इश्क़ से, जब बाल सफेद हुए तब इश्क़ ने रंगना सिखा दिया! |
आओ आज मुश्किलों को हराते हैं; चलो आज दिन भर मुस्कुराते हैं! |
उठने लगे हैं अब तो इस बात पे सवाल; वो मेरी तरफ मुस्कुरा के देखते क्यों हैं! |
कितना खूबसूरत है उसका मेरा रिश्ता; न उसने कभी बांधा, न हमने कभी छोड़ा! |
दूरियों की परवाह न कीजिये; जब भी मिलने का मन हो तो पलकों को झुका लीजिये! |
हुस्न के कसीदे तो घडती रहेंगी महफिलें; झुर्रियां भी प्यारी लगे तो, मान लेना इश्क है! |
खोटे सिक्के जो खुद कभी चले नहीं बाजार में, वो भी कमियाँ खोज रहे हैं आज मेरे किरदार में; पारस हो गए हैं हम यूँ छू करके तुम्हें, ना उम्र बढती है, ना इश्क घटता है! |
तेरे प्यार का सिला हर हाल में देंगे, खुदा भी मांगे ये दिल तो टाल देंगे, अगर दिल ने कहा तुम बेवफ़ा हो, तो इस दिल को भी सीने से निकाल देंगे। |