कुछ मतलब के लिए ढूँढते हैं मुझको; बिन मतलब जो आए तो क्या बात है; कत्ल कर के तो सब ले जाएँगे दिल मेरा; कोई बातों से ले जाए तो क्या बात है। |
अपनी ज़िन्दगी का अलग उसूल है; प्यार की खातिर तो काँटे भी कबूल हैं; हँस के चल दूँ काँच के टुकड़ों पर; अगर तू कह दे ये मेरे बिछाये हुए फूल हैं। |
ज़रा साहिल पे आकर वो थोड़ा मुस्कुरा देती; भंवर घबरा के खुद मुझ को किनारे पर लगा देता; वो ना आती मगर इतना तो कह देती मैं आँऊगी; सितारे, चाँद सारा आसमान राह में बिछा देता। |
जब कोई ख्याल दिल से टकराता है; दिल ना चाह कर भी खामोश रह जाता है; कोई सब कुछ कह कर प्यार जताता है; तो कोई कुछ ना कह कर प्यार निभाता है। |
क्या कहें कुछ भी कहा नहीं जाता; दर्द मिलता है पर सहा नहीं जाता; हो गयी है मोहब्बत आपसे इस कदर; कि अब तो बिन देखे आप को जिया नहीं जाता। |
तेरे हर ग़म को अपनी रूह में उतार लूँ; ज़िन्दगी अपनी तेरी चाहत में संवार लूँ; मुलाक़ात हो तुझसे कुछ इस तरह मेरी; सारी उम्र बस एक मुलाक़ात में गुज़ार लूँ। |
आँखों से आँखें मिलाकर तो देखो; हमारे दिल से दिल मिलाकर तो देखो; सारे जहान की खुशियाँ तेरे दामन में रख देंगे; हमारे प्यार पर ज़रा ऐतबार करके तो देखो। |
ना जाने कब वो हसीन रात होगी; जब उनकी निगाहें हमारी निगाहों के साथ होंगी; बैठे हैं हम उस रात के इंतज़ार में; जब उनके होंठों की सुर्खियां हमारे होंठों के साथ होंगी। |
मेरी चाहत को अपनी मोहब्बत बना के देख; मेरी हँसी को अपने होंठो पे सज़ा के देख; ये मोहब्बत तो हसीन तोहफा है एक; कभी मोहब्बत को मोहब्बत की तरह निभा कर तो देख। |
साथ अगर दोगे तो मुस्कुराएंगे ज़रूर; प्यार अगर दिल से करोगे तो निभाएंगे ज़रूर; कितने भी काँटे क्यों ना हों राहों में; आवाज़ अगर दिल से दोगे तो आएंगे ज़रूर। |