रात से शिकायत क्या बस तुम्हीं से कहना है; बस तुम ज़रा ठहर जाओ रात कब ठहरती है। |
आये जो वो सामने तो अज़ब तमाशा हुआ; हर शिकायत ने जैसे ख़ुदकुशी कर ली। |
मेरे दिल ने जब भी कभी कोई दुआ माँगी है; हर दुआ में बस तेरी ही वफ़ा माँगी है; जिस प्यार को देख कर जलते हैं यह दुनिया वाले; तेरी मोहब्बत करने की बस वो एक अदा माँगी है। |
इश्क़ करने में नही पूछी जाती जात मोहबत की; चलो कुछ तो है दुनिया में जो मज़हबी नहीं हुआ। |
ख्याल में आता है जब भी उसका चेहरा; तो लबों पे अक्सर फरियाद आती है; भूल जाता हूँ सारे ग़म और सितम उसके; जब ही उसकी थोड़ी सी मोहब्बत याद आती है। |
ऐ आशिक तू सोच तेरा क्या होगा; क्योंकि हशर की परवाह मैं नहीं करता; फनाह होना तो रिवायत है तेरी; इश्क़ नाम है मेरा मैं नहीं मरता। |
रात होगी तो चाँद दुहाई देगा; ख्वाबों में आपको वह चेहरा दिखाई देगा; ये मोहब्बत है ज़रा सोच कर करना; एक आंसू भी गिरा तो सुनाई देगा। |
तुम को तो जान से प्यारा बना लिया; दिल को सुकून आँख का तारा का बना लिया; अब तुम साथ दो या ना दो तुम्हारी मर्ज़ी; हम ने तो तुम्हें ज़िन्दगी का सहारा बना लिया। |
हर ख़ुशी से खूबसूरत तेरी शाम करूँ; अपना प्यार सिर्फ मैं तेरे नाम करूँ; मिल जाए अगर दोबारा ये ज़िंदगी; हर बार ये ज़िंदगी मैं तेरे नाम करूँ। |
अपनी आँखों के समंदर में उतर जाने दे; तेरा मुजरिम हूँ मुझे डूब कर मर जाने दे; ज़ख्म कितने तेरी चाहत से मिले हैं मुझको; सोचता हूँ कहूँ, फिर सोचता हूँ कि छोड़ जाने दे। |