वज़ाहत इसकी पूछोगे तो फिर लाज़िम है उलझोगे; ये अक्सर बे-वजह होता है जिसको इश्क़ कहते हैं! |
इश्क मुहब्बत तो सब करते हैं, गम-ऐ-जुदाई से सब डरते हैं, हम तो न इश्क करते हैं न मुहब्बत, हम तो बस आपकी एक मुस्कुराहट पाने के लिए तरसते हैं! |
शब्दों को होठों पर रखकर दिल के भेद ना खोलो; आंखें मेरी सुन लेंगी बस तुम आँखों से बोलो! |
इतना बेताब न हो मुझसे बिछड़ने के लिए; तुझे आँखों से नहीं मेरे दिल से जुदा होना है। |
धनक धनक मेरी पोरों के ख़्वाब कर देगा; वो लम्स मेरे बदन को गुलाब कर देगा! धनक: इन्द्रधनुष लम्स: स्पर्श |
मोहबबत में नहीं है फ़र्क जी ने और मरने का; उसी को देख कर जीते हैं जिस क़ाफ़िर पे दम निकले! |
अब तो मुझे अपनी आँखों से भी जलन होती है "ऐ ज़ालिम"; खुली हो तो तलाश तेरी और बन्द हो तो ख्वाब तेरे! |
मोहब्बत के लिए कुछ ख़ास दिल मख़्सूस होते हैं; ये वो नग़्मा है जो हर साज़ पर गाया नहीं जाता! |
आखिरी हिचकी तिरे ज़ानू पे आये; मौत भी मैं शायराना चाहता हूँ! |
इश्क पर ज़ोर नहीं है ये वो आतिश 'ग़ालिब'; जो लगाये न लगे और बुझाये न बने! |