एक बार उसने कहा था मेरे सिवा किसी से प्यार ना करना; बस फिर क्या था तब से मोहब्बत की नजर से हमने खुद को भी नहीं देखा! |
कौन कहता है मुर्दे जिया नहीं करते; मैंने आशिकों की बस्ती में लाशों को चलते देखा है! |
खुदा की रहमत में अर्जियाँ नहीं चलतीं; दिलों के खेल में खुदगर्जियाँ नहीं चलतीं; चल ही पड़े हैं तो ये जान लीजिए हुज़ूर; इश्क़ की राह में मनमर्जियाँ नहीं चलतीं! |
पलकों से पानी गिरा है तो उसे गिरने दो; सीने में कोई पुरानी तमन्ना पिघल रही होगी! |
कितनी मोहब्बत है तुमसे, कोई सफाई ना देंगे; साये की तरह रहेंगे तेरे साथ, पर दिखाई ना देंगें।! |
लफ़्ज़ों के इत्तेफाक़ में, यूँ बदलाव करके देख; तू देख कर न मुस्कुरा, बस मुस्कुरा के देख! |
आरज़ू होनी चाहिए किसी को याद करने की; लम्हें तो अपने आप मिल जाते हैं! |
कोई कहता है प्यार नशा बन जाता है; कोई कहता है प्यार सज़ा बन जाता है; पर प्यार करो अगर सच्चे दिल से; तो वो प्यार ही जीने की वजह बन जाता है! |
तेरा इश्क़ ही है मेरी बंदगी, मुझे और कुछ तो खबर नहीं; तुझे देख कर देखूँ और कहीं, अब मेरे पास वो नज़र नहीं! |
एहसासों की अगर जुबाँ होती; दुनियां फिर खूबसूरत कहाँ होती; लफ़्ज़ बन जातें हैं पर्दे जज़्बात के; अजी फिर कैसे ये मोहोब्बत बयाँ होती! |