न झगड़ें हम आपस में, झगड़कर टूट जायेंगे, तुम्हारा आइना हम हैं, हमारा आइना तुम हो! |
दिल पे तन्हाई के सियाह अब्र छाने लगे हैं; तेरे ग़म की लगता है बरसात होने वाली है! |
हाल जब भी पूछो खैरियत बताते हो; लगता है मोहब्बत छोड़ दी तुमने! |
यूँ ही नहीं ये सिरहाने, तेरी खुशबू से भर गए होंगे, महके हुए कुछ ख़्वाब तेरे, मेरी आँखों से गिर गए होंगे! |
शायद किसी लकीर में मिल जाऊं; मुझे कुछ क़रीब से देखने दे हथेली तेरी! |
ऐसे माहौल में दवा क्या है दुआ क्या है; जहां कातिल ही खुद पूछे कि हुआ क्या है! |
आ तेरी रूह को अपने प्यार के रंगों से सराबोर कर दूँ, महकने लगेंगी साँसें तेरी, ऐसी सुगंध बफाओं की भर दूँ। |
इश्क़ की होलियां खेलनी छोड़ दी है हमने, वरना हर चेहरे पे रंग सिर्फ़ हमारा ही होता! |
कौन सा रंग लगाऊं तेरे चेहरे पर, कि मेरा मन तो पहले ही तेरे रंग में रंग चुका है! |
मेरी आँखों में यहीं हद से ज्यादा बेशुमार हैं, तेरा ही इश्क़, तेरा ही दर्द, तेरा ही इंतज़ार हैं! |