गिला शिकवा Hindi Shayari

  • कुछ तो तन्हाई की रातों में सहारा होता;<br/>

तुम न होते न सही ज़िक्र तुम्हारा होता!Upload to Facebook
    कुछ तो तन्हाई की रातों में सहारा होता;
    तुम न होते न सही ज़िक्र तुम्हारा होता!
  • सौ बार चमन महका सौ बार बहार आई;<br/>
दुनिया की वही रौनक़ दिल की वही तंहाई!Upload to Facebook
    सौ बार चमन महका सौ बार बहार आई;
    दुनिया की वही रौनक़ दिल की वही तंहाई!
  • प्यार करना हर किसी के बस की बात नहीं;<br/>

जिगर चाहिए अपनी ही खुशियां बर्बाद करने के लिए।Upload to Facebook
    प्यार करना हर किसी के बस की बात नहीं;
    जिगर चाहिए अपनी ही खुशियां बर्बाद करने के लिए।
  • कुछ तो मेरे पिंदार-ए-मोहब्बत का भरम रख;<br/>
तू भी तो कभौ मुझको मनाने के लिये आ!<br/><br/>

पिंदार-ए-मोहब्बत : प्यार का अभिमान<br/>
भरम: भ्रमUpload to Facebook
    कुछ तो मेरे पिंदार-ए-मोहब्बत का भरम रख;
    तू भी तो कभौ मुझको मनाने के लिये आ!

    पिंदार-ए-मोहब्बत : प्यार का अभिमान
    भरम: भ्रम
    ~ Ahmad Faraz
  • बड़ी अजीब सी है शहरों की रौशनी,<br/>

उजालों के बावजूद चेहरे पहचानना मुश्किल है!Upload to Facebook
    बड़ी अजीब सी है शहरों की रौशनी,
    उजालों के बावजूद चेहरे पहचानना मुश्किल है!
  • हर क़दम पर हम समझते थे कि मंज़िल आ गयी;<br/>
हम क़दम पर इक नयी दरपेश मुश्किल आ गयी!<br/><br/>
क़दम: पैर<br/>
दरपेश:  सम्मुख, सामनेUpload to Facebook
    हर क़दम पर हम समझते थे कि मंज़िल आ गयी;
    हम क़दम पर इक नयी दरपेश मुश्किल आ गयी!

    क़दम: पैर
    दरपेश: सम्मुख, सामने
    ~ Hafeez Hoshiarpuri
  • लौटा जो सज़ा काट के, वो बिना ज़ुर्म की;<br/>
घर आ के उसने, सारे परिंदे रिहा कर दिए!Upload to Facebook
    लौटा जो सज़ा काट के, वो बिना ज़ुर्म की;
    घर आ के उसने, सारे परिंदे रिहा कर दिए!
  • अच्छा यक़ीं नहीं है तो कश्ती डुबा के देख,<br/>
इक तू ही नाख़ुदा नहीं ज़ालिम ख़ुदा भी है!Upload to Facebook
    अच्छा यक़ीं नहीं है तो कश्ती डुबा के देख,
    इक तू ही नाख़ुदा नहीं ज़ालिम ख़ुदा भी है!
  • तुम साथ नहीं हो लेकिन हमसे रूठ गये हो;<br/>
तुम जिन्दगी की राह में हमसे छूट गये हो;<br/>
बढ़ती ही जा रही हैं अपनी दूरियाँ दिल की;<br/>
तुम हाथ की लकीरों में हमसे टूट गये हो!Upload to Facebook
    तुम साथ नहीं हो लेकिन हमसे रूठ गये हो;
    तुम जिन्दगी की राह में हमसे छूट गये हो;
    बढ़ती ही जा रही हैं अपनी दूरियाँ दिल की;
    तुम हाथ की लकीरों में हमसे टूट गये हो!
  • चिलमन का उलट जाना ज़ाहिर का बहाना है;<br/>
उनको तो बहर-सूरत इक जलवा दिख़ाना है!<br/><br/>

चिलमन: घूंघट<br/>
ज़ाहिर: स्पष्ठ<br/>
बहर-सूरत: हर हाल मेंUpload to Facebook
    चिलमन का उलट जाना ज़ाहिर का बहाना है;
    उनको तो बहर-सूरत इक जलवा दिख़ाना है!

    चिलमन: घूंघट
    ज़ाहिर: स्पष्ठ
    बहर-सूरत: हर हाल में
    ~ Meer Mehdi Majrooh