गिला शिकवा Hindi Shayari

  • तुम्हीं पे मरता है ये दिल, अदावत क्यों नहीं करता;<br/>
कई जन्मों से बंदी है, बगावत क्यों नहीं करता;<br/>
कभी तुमसे थी जो, वो ही शिकायत है ज़माने से;<br/>
मेरी तारीफ़ करता है, मोहब्बत क्यों नहीं करता।Upload to Facebook
    तुम्हीं पे मरता है ये दिल, अदावत क्यों नहीं करता;
    कई जन्मों से बंदी है, बगावत क्यों नहीं करता;
    कभी तुमसे थी जो, वो ही शिकायत है ज़माने से;
    मेरी तारीफ़ करता है, मोहब्बत क्यों नहीं करता।
    ~ Dr. Kumar Vishwas
  • गम में हूँ या हूँ शाद मुझे खुद पता नहीं;<br/>
खुद को भी हूँ मैं याद मुझे खुद पता नहीं;<br/>
मैं तुझ को चाहता हूँ मग़र माँगता नहीं;<br/>
मौला मेरी मुराद मुझे खुद पता नहीं।Upload to Facebook
    गम में हूँ या हूँ शाद मुझे खुद पता नहीं;
    खुद को भी हूँ मैं याद मुझे खुद पता नहीं;
    मैं तुझ को चाहता हूँ मग़र माँगता नहीं;
    मौला मेरी मुराद मुझे खुद पता नहीं।
    ~ Dr. Kumar Vishwas
  • ये संगदिलों की दुनिया है,संभलकर चलना गालिब;<br/>
यहाँ पलकों पर बिठाते हैं, नजरों से गिराने के लिए।Upload to Facebook
    ये संगदिलों की दुनिया है,संभलकर चलना गालिब;
    यहाँ पलकों पर बिठाते हैं, नजरों से गिराने के लिए।
    ~ Mirza Ghalib
  • अब क्या जवाब दूँ मैं, कोई मुझे बताये;<br/> 
वह मुझसे कह रहे हैं, क्यों मेरी आरज़ू की।Upload to Facebook
    अब क्या जवाब दूँ मैं, कोई मुझे बताये;
    वह मुझसे कह रहे हैं, क्यों मेरी आरज़ू की।
    ~ Jigar Moradabadi
  • तेरा नजरिया मेरे नजरिये से अलग था;<br/>
शायद तूने वक्त गुजारना था और हमे सारी जिन्दगी!Upload to Facebook
    तेरा नजरिया मेरे नजरिये से अलग था;
    शायद तूने वक्त गुजारना था और हमे सारी जिन्दगी!
  • दुश्मनों के साथ मेरे दोस्त भी आज़ाद हैं;<br/>
देखना है, फेंकता है मुझ पर पहला तीर कौन!Upload to Facebook
    दुश्मनों के साथ मेरे दोस्त भी आज़ाद हैं;
    देखना है, फेंकता है मुझ पर पहला तीर कौन!
  • इतने संगदिल ना बनो कुछ तो मुरव्वत सीखो;<br/>
तुम पर मरते हैं तो क्या मार ही डालोगे!Upload to Facebook
    इतने संगदिल ना बनो कुछ तो मुरव्वत सीखो;
    तुम पर मरते हैं तो क्या मार ही डालोगे!
  • मैं तुम्हारी कुछ मिसाल तो दे दूँ मगर जानां;<br/>
जुल्म ये है कि बे-मिसाल हो तुम!
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    मैं तुम्हारी कुछ मिसाल तो दे दूँ मगर जानां;
    जुल्म ये है कि बे-मिसाल हो तुम!
  • तुम हंसो तो दिन, चुप रहो तो रातें हैं;<br/>
किस का ग़म, कहाँ का ग़म, सब फज़ूल बातें हैं!Upload to Facebook
    तुम हंसो तो दिन, चुप रहो तो रातें हैं;
    किस का ग़म, कहाँ का ग़म, सब फज़ूल बातें हैं!
  • कितना खुशनुमा होगा वो मेरे इँतज़ार का मंजर भी;<br/>
जब ठुकराने वाले मुझे फिर से पाने के लिये आँसु बहायेंगे!Upload to Facebook
    कितना खुशनुमा होगा वो मेरे इँतज़ार का मंजर भी;
    जब ठुकराने वाले मुझे फिर से पाने के लिये आँसु बहायेंगे!