नींद से क्या शिकवा जो आती नहीं, कसूर तो उस चेहरे का है जो सोने नहीं देता। |
मिलावट है तेरे इश्क में इत्र और शराब की, वरना हम कभी महक तो कभी बहक क्यों जाते। |
हद से बढ़ जाये ताल्लुक तो गम मिलते हैं, हम इसी वास्ते अब हर शख्स से कम मिलते हैं। |
अब ना कोई शिकवा, ना गिला, ना कोई मलाल रहा, सितम तेरे भी बे-हिसाब रहे, सब्र मेरा भी कमाल रहा। |
अधूरी हसरतों का आज भी इल्ज़ाम है तुम पर, अगर तुम चाहते तो ये मोहब्बत ख़त्म ना होती। |
तुम्हीं कहते थे कि यह मसले नज़र सुलझी तो सुलझेंगे; नज़र की बात है तो फिर यह लब खामोश रहने दो। |
मशरूफ रहने का अंदाज़ तुम्हें तन्हा न कर दे ग़ालिब, रिश्ते फुर्सत के नहीं तवज्जो के मोहताज़ होते हैं। |
बुरे हैं हम तभी तो जी रहे हैं, अच्छे होते तो दुनिया जीने नहीं देती। |
बिकने वाले और भी हैं जाओ जाकर खरीद लो, हम कीमत से नहीं किस्मत से मिला करते हैं। |
नेकियाँ खरीदी हैं हमने अपनी शोहरतें गिरवी रखकर, कभी फुर्सत में मिलना ऐ ज़िन्दगी तेरा भी हिसाब कर देंगे। |