तन्हाई की आग़ोश में था सुबह से पहले; मिलती रही उल्फ़त की सज़ा सुबह से पहले! |
अपनी तन्हाई को आबाद तो कर सकते हैं; हम तुझे मिल न सकें याद तो कर सकते हैं! |
तुम ख़फ़ा हो के हम को छोड़ चले; अब अजल से है सामना अपना! |
धूप बढ़ते ही जुदा हो जाएगा; साया-ए-दीवार भी दीवार से! |
तुझ से बिछड़ के दर्द तेरा हम-सफ़र रहा; मैं राह-ए-आरज़ू में अकेला कभी न था! |
इक उम्र हुई और मैं अपने से जुदा हूँ; ख़ुशबू की तरह ख़ुद को सदा ढूँड रहा हूँ! |
बे-सबब हम से जुदाई न करो; मुझ से आशिक़ से बुराई न करो ! |
ये हादसा है मगर उस तरफ हुआ भी नहीं; जुदा हुआ भी तो उस से जो जानता भी नहीं! |
चाँदनी-रात में अंधेरा था; इस तरह बेबसी ने घेरा था! |
क्या-क्या नहीं किया मैंने तेरी एक मुस्कान के लिए;br/> फिर भी अकेला छोड़ दिया उस अनजान के लिए! |