खुदा जाने कौन सा गुनाह कर बैठे हैं हम, कि तमन्नाओं वाली उम्र में तजुर्बे मिल रहे हैं! |
धड़कन बनके जो दिल में समा गए हैं, हर एक पल उनकी याद में बिताते हैं; आँसू निकल आये जब वो याद आ गए, जान निकल जाती है जब वो रूठ जाते हैं। |
खामोशियाँ कर देतीं बयान तो अलग बात है; कुछ दर्द हैं जो लफ़्ज़ों में उतारे नहीं जाते! |
मोहब्बत से, इनायत से, वफ़ा से चोट लगती है, बिखरता फूल हूँ, मुझको हवा से चोट लगती है; मेरी आँखों में आँसू की तरह इक रात आ जाओ, तकल्लुफ़ से, बनावट से, अदा से चोट लगती है! |
दर्द बनकर ही रह जाओ हमारे साथ; सुना है दर्द बहुत देर तक साथ रहता है! |
ख्वाहिशों का आदी दिल काश ये समझ सकता; कि साँस टूट जाती है इक आस टूट जाने से! |
काँच के दिल थे जिनके उनके दिल टूट गए: हमारा दिल था मोम का पिघलता ही चला गया! |
कभी तो आओ मेरी मोहब्बत भरी शायरियां पढ़ने; दिल हार कर ही जाओगे, ये वादा है मेरा! |
कौन कहता है कि हम झूठ नहीं बोलते तुम एक बार खैरियत पूछ कर तो देखो! |
दर्द कितना खुशनसीब है मिलते ही अपनों की याद दिलाता है; दौलत कितनी बदनसीब है मिलते ही लोग अपनों को भूल जाते हैं! |