बहुत खूब है यूँ आपका शब्दों में मुझे लिखना, वरना तो सबने मुझे सदा बेजुबां ही माना है। |
मुझे तो आज पता चला कि मैं किस क़दर तनहा हूँ, पीछे जब भी मुड़ कर देखता हूँ तो मेरा साया भी मुँह फेर लेता है। |
उसकी जीत से होती है ख़ुशी मुझको, यही जवाब मेरे पास अपनी हार का था। |
सौ बार कहा दिल से कि भूल जा उसको, हर बार दिल कहता है कि तुम दिल से नही कहते। |
मुझे यकीन है मोहब्बत उसी को कहते हैं, कि जख्म ताज़ा रहे और निशान चला जाये। |
कितनी जल्दी थी उसको रूठ जाने की, आवाज़ तक न सुनी दिल के टूट जाने की। |
वो अपने ही होते हैं जो लफ्जों से मार देते हैं, वरना गैरों को क्या खबर कि दिल किस बात पे दुखता है। |
दिल अब पहले सा मासूम नहीं रहा, पत्थर तो नहीं बना मगर अब मोम भी नहीं रहा। |
ख़ुशी तक्दीरों में होनी चाहिए, तस्वीरों में तो हर कोई खुश नज़र आता है। |
सिखा ना सकी जो उम्र भर तमाम किताबें मुझे, फिर करीब से कुछ चेहरे पढ़े और ना जाने कितने सबक सीख लिए। |