आज अचानक तेरी याद ने मुझे रुला दिया, क्या करूँ तुमने जो मुझे भुला दिया, न करती वफ़ा न मिलती ये सज़ा, शायद मेरी वफ़ा ने ही तुझे बेवफा बना दिया। |
कभी कोई अपना अनजान हो जाता है, कभी अनजान से प्यार हो जाता है, ये जरुरी नही कि जो ख़ुशी दे उसी से प्यार हो, दिल तोड़ने वालो से भी प्यार हो जाता है। |
ना जाने क्या कहा था डूबने वाले ने समंदर से, कि लहरें आज तक साहिल पे अपना सर पटकती हैं। |
मुझमें और तवायफ में फर्के फक्त है इत्ता, वो शब निकले, मैं सुब से निकलूँ साज़ो श्रृंगार में। |
ग़म वो मय-ख़ाना कमी जिस में नहीं; दिल वो पैमाना है जो कभी भरता ही नहीं। |
मेरी फितरत मे नही है किसी से नाराज होना, नाराज वो होते है जिनको अपने आप पर गुरुर होता है। |
बिछड़ के तुम से ज़िन्दगी सज़ा लगती है; यह साँस भी जैसे मुझ से ख़फ़ा लगती है; तड़प उठता हूँ दर्द के मारे मैं; ज़ख्मो को मेरे जब तेरे शहर की हवा लगती है। |
आयें हैं उसी मोड पे लेकिन अपना नही यहाँ अब कोई; इस शहर ने इस दीवाने को ठुकराया है बार-बार, माना कि तेरे हुस्न के काबिल नही हूँ मैं, पर यह कमबख्त इश्क तेरे दर पे हमें लाया है बार-बार। |
जाने क्या था जाने क्या है जो मुझसे छूट रहा है, यादें कंकर फेंक रही हैं और दिल अंदर से टूट रहा है। |
कभी संभले तो कभी बिखरते आये हम; जिंदगी के हर मोड़ पर खुद में सिमटते आये हम; यूँ तो जमाना कभी खरीद नहीं सकता हमें; मगर प्यार के दो लफ्जो में सदा बिकते आये हम; |