इज़हार Hindi Shayari

  • मैंने पूछा कैसे जान जाते हो मेरे दिल की बातें,<br/>

वो बोली जब रूह में बसे हो फिर ये सवाल क्यूँ।Upload to Facebook
    मैंने पूछा कैसे जान जाते हो मेरे दिल की बातें,
    वो बोली जब रूह में बसे हो फिर ये सवाल क्यूँ।
  • मै भी तलाश में हूँ किसी अपने की;<BR/>
कोई तुम सा हो लेकिन किसी और का ना हो!Upload to Facebook
    मै भी तलाश में हूँ किसी अपने की;
    कोई तुम सा हो लेकिन किसी और का ना हो!
  • बोसा-ए-रुख़्सार पर तकरार रहने दीजिए;<BR/>
लीजिए या दीजिए इंकार रहने दीजिए!Upload to Facebook
    बोसा-ए-रुख़्सार पर तकरार रहने दीजिए;
    लीजिए या दीजिए इंकार रहने दीजिए!
  • एक दूसरे से बिछड़ के हम कितने रंगीले हो गये;<br/>
मेरी आँखें लाल हो गयी और तेरे हाथ पीले हो गए!Upload to Facebook
    एक दूसरे से बिछड़ के हम कितने रंगीले हो गये;
    मेरी आँखें लाल हो गयी और तेरे हाथ पीले हो गए!
  • मेरे हम-सकूँ का यह हुक्म था के कलाम उससे मैं कम करूँ;<br/>
मेरे होंठ ऐसे सिले के फिर उसे मेरी चुप ने रुला दिया!Upload to Facebook
    मेरे हम-सकूँ का यह हुक्म था के कलाम उससे मैं कम करूँ;
    मेरे होंठ ऐसे सिले के फिर उसे मेरी चुप ने रुला दिया!
    ~ Parveen Shakir
  • तेरे बदलने के बावसफ भी तुझ को चाहा है;<br/>
यह एतराफ़ भी शामिल मेरे गुनाहों में है!Upload to Facebook
    तेरे बदलने के बावसफ भी तुझ को चाहा है;
    यह एतराफ़ भी शामिल मेरे गुनाहों में है!
    ~ Parveen Shakir
  • अपने चेहरे से जो ज़ाहिर है छुपाएँ कैसे;<br/>
तेरी मर्ज़ी के मुताबिक़ नज़र आएँ कैसे!
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    अपने चेहरे से जो ज़ाहिर है छुपाएँ कैसे;
    तेरी मर्ज़ी के मुताबिक़ नज़र आएँ कैसे!
    ~ Wasim Barelvi
  • फूल की पती से कट सकता है हीरे का जिगर;<br/>
मर्दे नादाँ पर कलाम-ऐ-नरम-ऐ-नाज़ुक बेअसर!Upload to Facebook
    फूल की पती से कट सकता है हीरे का जिगर;
    मर्दे नादाँ पर कलाम-ऐ-नरम-ऐ-नाज़ुक बेअसर!
  • खुशबू की तरह आया वो तेज़ हवाओं में;<br/>
माँगा था जिसे हम ने दिन रात दुआओं में;<br/> 
तुम चाट पे नहीं आये मैं घर से नहीं निकल;<br/>
यह चाँद बहुत भटकता है सावन की घटाओं में!Upload to Facebook
    खुशबू की तरह आया वो तेज़ हवाओं में;
    माँगा था जिसे हम ने दिन रात दुआओं में;
    तुम चाट पे नहीं आये मैं घर से नहीं निकल;
    यह चाँद बहुत भटकता है सावन की घटाओं में!
  • तुम्हारे साथ खामोश भी रहूँ तो बातें पूरी हो जाती हैं;<br/>
तुम में, तुम से, तुम पर ही मेरी दुनिया पूरी हो जाती है!
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    तुम्हारे साथ खामोश भी रहूँ तो बातें पूरी हो जाती हैं;
    तुम में, तुम से, तुम पर ही मेरी दुनिया पूरी हो जाती है!