जो चाहते हो सो कहते हो चुप रहने की लज़्ज़त क्या जानो; ये राज़-ए-मोहब्बत है प्यारे तुम राज़-ए-मोहब्बत क्या जानो! |
धूप रुख़्सत हुई शाम आई सितारा चमका; गर्द जब बैठ गई नाम तुम्हारा चमका! |
इकरार किसी दिन है तो इंकार किसी दिन; हो जाएगी अब आप से तकरार किसी दिन! |
हैरतों के सिलसिले सोज़-ए-निहाँ तक आ गए; हम नज़र तक चाहते थे तुम तो जाँ तक आ गए! |
ग़ुंचे-ग़ुंचे पे गुलिस्ताँ के निखार आ जाए; जिस तरफ़ से वो गुज़र जाएँ बहार आ जाए ! |
अभी तो ताजा है इश्क़ हजार कसमें खाओगे; जरा पक जाने दो फिर देखेंगे कितना निभाओगे! |
इश्क़ आसां नहीं तो क्या किया जाए; मुश्किल तो जीना भी है तो क्या सांस ना ली जाए! |
ख़ामोश बैठी गज़ल को अल्फाज़ दे आया; आज एक गुलाब को गुलाब दे आया! |
मोहब्बत खूबसूरती से नहीं; मोहब्बत दिल से होती है! |
तेरा नाम ही ये दिल रटता है; ना जाने तुम पे ये दिल क्यू मरता है! |