फिर वही बात कर गया लम्हा, आँख झपकी गुज़र और गया लम्हा! |
शिकवा करने गये थे और इबादत सी हो गई, तुझे भुलाने की ज़िद्द थी, मगर तेरी आदत सी हो गई! |
होगी कितनी चाहत उस दिल में, जो खुद ही मान जाये कुछ पल खफा होने के बाद! |
मैं बद-नसीब हूँ मुझ को न दे ख़ुशी इतनी; कि मैं ख़ुशी को भी ले कर ख़राब कर दूँगा! |
मेरी चाहत ने उसे खुशी दे दी, बदले में उसने मुझे सिर्फ खामोशी दे दी; खुदा से दुआ मांगी मरने की, लेकिन उसने भी तड़पने के लिए ज़िन्दगी दे दी। |
ग़म है न अब ख़ुशी है न उम्मीद है न आस; सब से नजात पाए ज़माने गुज़र गए! |
तू भी ख्वा-म-खाह बढ़ रही हैं ऐ धूप; इस शहर में पिघलने वाले दिल ही नहीं रहे! |
ढूंढ लाया हूँ ख़ुशी की छाँव जिस के वास्ते; एक ग़म से भी उसे दो-चार करना है मुझे! |
मैं कहकशाओं में ख़ुशियाँ तलाशने निकला; मिरे सितारे मेरा चाँद सब उदास रहे! |
अब तो ख़ुशी का ग़म है न ग़म की ख़ुशी मुझे; बे-हिस बना चुकी है बहुत ज़िंदगी मुझे! |