गिला शिकवा Hindi Shayari

  • फिर वही बात कर गया लम्हा,<br/>
आँख झपकी गुज़र और गया लम्हा!Upload to Facebook
    फिर वही बात कर गया लम्हा,
    आँख झपकी गुज़र और गया लम्हा!
  • शिकवा करने गये थे और इबादत सी हो गई,<br/>
तुझे भुलाने की ज़िद्द थी, मगर तेरी आदत सी हो गई!Upload to Facebook
    शिकवा करने गये थे और इबादत सी हो गई,
    तुझे भुलाने की ज़िद्द थी, मगर तेरी आदत सी हो गई!
  • होगी कितनी चाहत उस दिल में,<br/>
जो खुद ही मान जाये कुछ पल खफा होने के बाद!Upload to Facebook
    होगी कितनी चाहत उस दिल में,
    जो खुद ही मान जाये कुछ पल खफा होने के बाद!
  • मैं बद-नसीब हूँ मुझ को न दे ख़ुशी इतनी; <br/>
कि मैं ख़ुशी को भी ले कर ख़राब कर दूँगा! Upload to Facebook
    मैं बद-नसीब हूँ मुझ को न दे ख़ुशी इतनी;
    कि मैं ख़ुशी को भी ले कर ख़राब कर दूँगा!
    ~ Abdul Hameed Adam
  • मेरी चाहत ने उसे खुशी दे दी,<br/>
बदले में उसने मुझे सिर्फ खामोशी दे दी;<br/>
खुदा से दुआ मांगी मरने की,<br/>
लेकिन उसने भी तड़पने के लिए ज़िन्दगी दे दी।Upload to Facebook
    मेरी चाहत ने उसे खुशी दे दी,
    बदले में उसने मुझे सिर्फ खामोशी दे दी;
    खुदा से दुआ मांगी मरने की,
    लेकिन उसने भी तड़पने के लिए ज़िन्दगी दे दी।
  • ग़म है न अब ख़ुशी है न उम्मीद है न आस;<br/>
सब से नजात पाए ज़माने गुज़र गए!Upload to Facebook
    ग़म है न अब ख़ुशी है न उम्मीद है न आस;
    सब से नजात पाए ज़माने गुज़र गए!
    ~ Khumar Barabankvi
  • तू भी ख्वा-म-खाह बढ़ रही हैं ऐ धूप;<br/>
इस शहर में पिघलने वाले दिल ही नहीं रहे!Upload to Facebook
    तू भी ख्वा-म-खाह बढ़ रही हैं ऐ धूप;
    इस शहर में पिघलने वाले दिल ही नहीं रहे!
  • ढूंढ लाया हूँ ख़ुशी की छाँव जिस के वास्ते;<br/>
एक ग़म से भी उसे दो-चार करना है मुझे!Upload to Facebook
    ढूंढ लाया हूँ ख़ुशी की छाँव जिस के वास्ते;
    एक ग़म से भी उसे दो-चार करना है मुझे!
    ~ Ghulam Hussain Sajid
  • मैं कहकशाओं में ख़ुशियाँ तलाशने निकला;<br/>
मिरे सितारे मेरा चाँद सब उदास रहे!Upload to Facebook
    मैं कहकशाओं में ख़ुशियाँ तलाशने निकला;
    मिरे सितारे मेरा चाँद सब उदास रहे!
    ~ Siraj Faisal Khan
  • अब तो ख़ुशी का ग़म है न ग़म की ख़ुशी मुझे;<br/>
बे-हिस बना चुकी है बहुत ज़िंदगी मुझे! Upload to Facebook
    अब तो ख़ुशी का ग़म है न ग़म की ख़ुशी मुझे;
    बे-हिस बना चुकी है बहुत ज़िंदगी मुझे!
    ~ Shakeel Badayuni