ये कहना था उन से मोहब्बत है मुझ को; ये कहने में मुझ को ज़माने लगे हैं! |
ख़ुदा बचाए तेरी मस्त मस्त आँखों से: फ़रिश्ता हो वो भी बहक जाए आदमी क्या है! |
ऐसा नहीं कि उन से मोहब्बत नहीं रही; जज़्बात में वो पहली सी शिद्दत नहीं रही! |
वही फिर मुझे याद आने लगे हैं; जिन्हें भूलने में ज़माने लगे हैं! |
ग़म है न अब ख़ुशी है न उम्मीद है न आस; सब से नजात पाए ज़माने गुज़र गए! |
भूले हैं रफ़्ता रफ़्ता उन्हें मु्द्दतों में हम; किश्तों में ख़ुदकुशी का मज़ा हम से पूछिये! |
ये वफ़ा की सख़्त राहें ये तुम्हारे पाँव नाज़ुक; ना लो इंतिक़ाम मुझ से मेरे साथ साथ चल के। |
जल के आशियाँ अपना ख़ाक हो चुका कब का; आज तक ये आलम है रोशनी से डरते है। |