वक्त-वक्त की बात है; कल जो रंग थे, आज दाग हो गये। |
जरुरी नहीं है कुछ तोड़ने के लिए पत्थर ही मारा जाए; अंदाज बदल कर बोलने से भी बहुत कुछ टूट जाता है! |
नजर से दूर रहकर भी किसी की सोच में रहना; किसी के पास रहने का तरीका हो तो ऐसा हो! |
साफ़ दामन का दौर अब खत्म हुआ, लोग अपने धब्बों पे गुरूर करने लगे! |
वजह की तलाश में, वक्त ना गवाया करो; बेवजह, बेपरवाह, बेझिझक बस मुस्कुराया करो! |
यहाँ हर कोई रखता है खबर, गैरों के गुनाहों की; अजीब फ़ितरत है, कोई आइना नही रखता। |
मेरे दिल से निकलने का रास्ता भी न ढूंढ सके, और कहते थे तुम्हारी रग-रग से वाकिफ़ है हम! |
लोग आजकल के बड़े होशियार हो गये; ये मत समझना तेरे तरफ़दार हो गये! |
चाँद को अपनी चौकट पे सजाने की तमन्ना ना कर, ये जमाना तो आँखों से ख्वाब भी छीन लेता है! |
फासला भी जरूरी है, चिराग रौशन करने वक्त; तजुर्बा ये हुआ हाथ जल जाने के बाद। |