झूठी हँसी से जख्म और बढ़ता गया; इससे बेहतर था खुलकर रो लिए होते! |
सब्र रखते हैं, बड़े ही सब्र से हम; वरना ज़िंदगी जीना कोई आसान तो नहीं! |
जब बेअसर से लगने लगें मन्नतों के धागे; समझ लो अभी और बाकी है इम्तिहान इसके आगे! |
रूतबा ही अलग होता है उन आँखों का जिनके पास उनकी मोहब्बत होती है; वरना कुछ क़तरे ही काफी होते हैं हमेशा किसी नज़र की वीरानी बता जाने को। |
ख्वाहिश तो ना थी किसी से दिल लगाने की; मगर जब किस्मत में ही दर्द लिखा था, तो मोहब्बत कैसे ना होती! |
दर्द को मुस्कुराकर सहना क्या सीख लिया; सब ने सोच लिया मुझे तकलीफ़ नहीं होती। |
हमनें दुनिया में मोहब्बत का असर ज़िंदा किया है; हमनें नफ़रत को गले मिल-मिल के शर्मिंदा किया है। |
मेरे सजदों में कमी तो न थी ऐ खुदा; या मुझ से भी बढ़कर किसी ने माँगा था उसको। |
दिल की बर्बादियों पे नाज़ाँ हूँ; फ़तेह पा कर शिकस्त खाई है। |
अब ये भी नहीं ठीक कि हर दर्द मिटा दें; कुछ दर्द कलेजे से लगाने के लिए हैं। |