कुछ मीठा सा नशा था उसकी झुठी बातों में; वक्त गुज़रता गया और हम आदी हो गये! |
शायद उम्मीदें ही होती हैं ग़म की वजह; वरना ख़्वाहिशें रखना कोई गुनाह नही! |
ना जाने वो कौन तेरा हबीब होगा; तेरे हाथों में जिसका नसीब होगा; कोई तुम्हें चाहे ये कोई बड़ी बात नहीं; लेकिन तुम जिसको चाहो, वो खुश नसीब होगा! |
हम भी कभी मुस्कुराया करते थे; उजाले में भी शोर मचाया करते थे; उसी दिये ने जला दिया मेरे हाथों को; जिस दिये को हम हवा से बचाया करते थे। |
मैं नहीं इतना घाफिल कि अपने चाहने वालों को भूल जाऊं; पीता ज़रूर हूँ लेकिन थोड़ी देर यादों को सुलाने के लिए! |
आँसू निकल पडे ख्वाब में उसको दूर जाते देखकर; आँख खुली तो एहसास हुआ इश्क सोते हुए भी रुलाता है! |
कुछ हार गयी तकदीर कुछ टूट गए सपने; कुछ गैरों ने बर्बाद किया कुछ छोड़ गए अपने! |
निकले हम दुनिया की भीड़ में तो पता चला; कि हर वह शख्स अकेला है जिसने मोहब्बत की है! |
जी भरके रोते हैं तो करार मिलता है; इस जहान में कहाँ सबको प्यार मिलता है; जिंदगी गुजर जाती है इम्तिहानों के दौर से; एक जख्म भरता है तो दूसरा तैयार मिलता है। |
ये जो हालात हैं यकीनन एक दिन सुधर जायेंगे; पर अफसोस के कुछ लोग दिलों से उतर जायेंगे! |