कर दिया कुर्बान खुद को हमने वफ़ा के नाम पर; छोड़ गए वो हमको अकेला मजबूरियों के नाम पर। |
कमाल का शख्स था, जिसने ज़िंदगी तबाह कर दी; राज़ की बात है दिल उससे खफा अब भी नहीं। |
जब भी उनकी गली से गुज़रता हूँ; मेरी आंखें एक दस्तक दे देती हैं; दुःख ये नहीं कि वो दरवाजा बंद कर देते है; खुशी ये है कि वो मुझे अब भी पहचान लेते हैं। |
फिर से निकलेंगे तलाश-ए-ज़िंदगी में; दुआ करना इस बार कोई बेवफ़ा ना मिले। |
समेट कर ले जाओ अपने झूठे वादों के अधूरे क़िस्से; अगली मोहब्बत में तुम्हें फिर इनकी ज़रूरत पड़ेगी। |
समझ जाते थे हम उनके दिल की हर बात को; और वो हमें हर बार धोखा देते थे; लेकिन हम भी मजबूर थे दिल के हाथों; जो उन्हें बार-बार मौका देते थे। |
इंसानों के कंधे पर इंसान जा रहे हैं; कफ़न में लिपट कर कुछ अरमान जा रहे हैं; जिन्हें मिली मोहब्बत में बेवफ़ाई; वफ़ा की तलाश में वो कब्रिस्तान जा रहे हैं। |
बेवफाई उसकी मिटा के आया हूँ; ख़त उसके पानी में बहा के आया हूँ; कोई पढ़ न ले उस बेवफा की यादों को; इसलिए पानी में भी आग लगा कर आया हूँ। |
ये देखा है हमने खुद को आज़माकर; धोखा देते हैं लोग करीब आकर; कहती है दुनिया पर दिल नहीं मानता; कि छोड़ जाओगे तुम भी एक दिन अपना बनाकार। |
कहाँ से लाऊ हुनर उसे मनाने का; कोई जवाब नहीं था उसके रूठ जाने का; मोहब्बत में सजा मुझे ही मिलनी थी; क्यूंकी जुर्म मैंने किया था उससे दिल लगाने का। |