Abdul Hameed Adam Hindi Shayari

  • सिर्फ़ एक क़दम उठा था ग़लत राह-ए-शौक़ में;</br>
मंज़िल तमाम उम्र मुझे ढूँढती रही!Upload to Facebook
    सिर्फ़ एक क़दम उठा था ग़लत राह-ए-शौक़ में;
    मंज़िल तमाम उम्र मुझे ढूँढती रही!
    ~ Abdul Hameed Adam
  • इजाज़त हो तो मैं तस्दीक़ कर लूँ तेरी ज़ुल्फ़ों से;</br>
सुना है ज़िंदगी इक ख़ूबसूरत दाम है साक़ी!</br>
*तस्दीक़: सच्चे होने की ताईद करना, सच्चा बतानाUpload to Facebook
    इजाज़त हो तो मैं तस्दीक़ कर लूँ तेरी ज़ुल्फ़ों से;
    सुना है ज़िंदगी इक ख़ूबसूरत दाम है साक़ी!
    *तस्दीक़: सच्चे होने की ताईद करना, सच्चा बताना
    ~ Abdul Hameed Adam
  • कभी तो दैर-ओ-हरम से तू आएगा वापस;</br>
मैं मय-कदे में तेरा इंतज़ार कर लूँगा!</br></br>
*मय-कदे: शराब पीने का स्थान, मदिरालयUpload to Facebook
    कभी तो दैर-ओ-हरम से तू आएगा वापस;
    मैं मय-कदे में तेरा इंतज़ार कर लूँगा!

    *मय-कदे: शराब पीने का स्थान, मदिरालय
    ~ Abdul Hameed Adam
  • एक हसीन आँख के इशारे पर;</br>
क़ाफ़िले राह भूल जाते हैं!Upload to Facebook
    एक हसीन आँख के इशारे पर;
    क़ाफ़िले राह भूल जाते हैं!
    ~ Abdul Hameed Adam
  • तकलीफ़ मिट गई मगर एहसास रह गया;</br>
ख़ुश हूँ कि कुछ न कुछ तो मेरे पास रह गया!Upload to Facebook
    तकलीफ़ मिट गई मगर एहसास रह गया;
    ख़ुश हूँ कि कुछ न कुछ तो मेरे पास रह गया!
    ~ Abdul Hameed Adam
  • साक़ी मुझे शराब की तोहमत नहीं पसंद;</br>
मुझ को तेरी निग़ाह का इल्ज़ाम चाहिए!Upload to Facebook
    साक़ी मुझे शराब की तोहमत नहीं पसंद;
    मुझ को तेरी निग़ाह का इल्ज़ाम चाहिए!
    ~ Abdul Hameed Adam
  • बारिश शराब-ए-अर्श है ये सोच कर 'अदम'; <br/>
बारिश के सब हुरूफ़ को उल्टा के पी गया!Upload to Facebook
    बारिश शराब-ए-अर्श है ये सोच कर 'अदम';
    बारिश के सब हुरूफ़ को उल्टा के पी गया!
    ~ Abdul Hameed Adam
  • मैं बद-नसीब हूँ मुझ को न दे ख़ुशी इतनी; <br/>
कि मैं ख़ुशी को भी ले कर ख़राब कर दूँगा! Upload to Facebook
    मैं बद-नसीब हूँ मुझ को न दे ख़ुशी इतनी;
    कि मैं ख़ुशी को भी ले कर ख़राब कर दूँगा!
    ~ Abdul Hameed Adam
  • हम उस से थोड़ी दूरी पर हमेशा रुक से जाते हैं;
    न जाने उस से मिलने का इरादा कैसा लगता है;
    मैं धीरे धीरे उन का दुश्मन-ए-जाँ बनता जाता हूँ;
    वो आँखें कितनी क़ातिल हैं वो चेहरा कैसा लगता है।
    ~ Abdul Hameed Adam
  • साग़र से लब लगा के...

    साग़र से लब लगा के बहुत ख़ुश है ज़िन्दगी;
    सहन-ए-चमन में आके बहुत ख़ुश है ज़िन्दगी;

    आ जाओ और भी ज़रा नज़दीक जान-ए-मन;
    तुम को क़रीब पाके बहुत ख़ुश है ज़िन्दगी;

    होता कोई महल भी तो क्या पूछते हो फिर;
    बे-वजह मुस्कुरा के बहुत ख़ुश है ज़िन्दगी;

    साहिल पे भी तो इतनी शगुफ़ता रविश न थी;
    तूफ़ाँ के बीच आके बहुत ख़ुश है ज़िन्दगी;

    वीरान दिल है और 'अदम' ज़िन्दगी का रक़्स;
    जंगल में घर बनाके बहुत ख़ुश है ज़िन्दगी।
    ~ Abdul Hameed Adam