Adeem Hashmi Hindi Shayari

  • क्यों परखते हो सवालों से जवाबों को 'अदीम';<br/>
होंठ अच्छे हों तो समझो कि सवाल अच्छा है!Upload to Facebook
    क्यों परखते हो सवालों से जवाबों को 'अदीम';
    होंठ अच्छे हों तो समझो कि सवाल अच्छा है!
    ~ Adeem Hashmi
  • कुछ हिज्र के मौसम ने सताया नहीं इतना,
    कुछ हम ने तेरा सोग मनाया नहीं इतना;

    कुछ तेरी जुदाई की अज़िय्यत भी कड़ी थी,
    कुछ दिल ने भी ग़म तेरा मनाया नहीं इतना;

    क्यूँ सब की तरह भीग गई हैं तेरी पलकें,
    हम ने तो तुझे हाल सुनाया नहीं इतना;

    कुछ रोज़ से दिल ने तेरी राहें नहीं देखीं,
    क्या बात है तू याद भी आया नहीं इतना;

    क्या जानिए इस बे-सर-ओ-सामानी-ए-दिल ने,
    पहले तो कभी हम को रुलाया नहीं इतना।
    ~ Adeem Hashmi
  • एक खिलौना टूट जाएगा नया मिल जाएगा;
    मैं नहीं तो कोई तुझ को दूसरा मिल जाएगा;
    भागता हूँ हर तरफ़ ऐसे हवा के साथ साथ;
    जिस तरह सच मुच मुझे उस का पता मिल जाएगा।
    ~ Adeem Hashmi
  • एक खिलौना टूट जाएगा...

    एक खिलौना टूट जाएगा नया मिल जाएगा;
    मैं नहीं तो कोई तुझ को दूसरा मिल जाएगा;

    भागता हूँ हर तरफ़ ऐसे हवा के साथ साथ;
    जिस तरह सच मुच मुझे उस का पता मिल जाएगा;

    किस तरह रोकोगे अश्कों को पस-ए-दीवार-ए-चश्म;
    ये तो पानी है इसे तो रास्ता मिल जाएगा;

    एक दिन तो ख़त्म होगी लफ़्ज़ ओ मानी की तलाश;
    एक दिन तो मुझ को मेरा मुद्दा मिल जाएगा;

    छोड़ ख़ाली घर को आ बाहर चलें घर से 'अदीम';
    कुछ नहीं तो कोई चेहरा चाँद सा मिल जाएगा।
    ~ Adeem Hashmi
  • इक खिलौना टूट जाएगा...

    इक खिलौना टूट जाएगा नया मिल जाएगा;
    मैं नहीं तो कोई तुझ को दूसरा मिल जाएगा;

    भागता हूँ हर तरफ़ ऐसे हवा के साथ साथ;
    जिस तरह सच मुच मुझे उस का पता मिल जाएगा;

    किस तरह रोकोगे अश्कों को पस-ए-दीवार-ए-चश्म;
    ये तो पानी है इसे तो रास्ता मिल जाएगा;

    एक दिन तो ख़त्म होगी लफ़्ज़ ओ मानी की तलाश;
    एक दिन तो मुझ को मेरा मुद्दा मिल जाएगा;

    छोड़ ख़ाली घर को आ बाहर चलें घर से 'अदीम';
    कुछ नहीं तो कोई चेहरा चाँद सा मिल जाएगा।
    ~ Adeem Hashmi
  • कुछ हिज्र के मौसम...

    कुछ हिज्र के मौसम ने सताया नहीं इतना;
    कुछ हम ने तेरा सोग मनाया नहीं इतना;

    कुछ तेरी जुदाई की अज़िय्यत भी कड़ी थी;
    कुछ दिल ने भी ग़म तेरा मनाया नहीं इतना;

    क्यों सब की तरह भीग गई हैं तेरी पलकें;
    हम ने तो तुझे हाल सुनाया नहीं इतना;

    कुछ रोज़ से दिल ने तेरी राहें नहीं देखीं;
    क्या बात है तू याद भी आया नहीं इतना;

    क्या जानिए इस बे-सर-ओ-सामानी-ए-दिल ने;
    पहले तो कभी हम को रुलाया नहीं इतना।
    ~ Adeem Hashmi
  • बड़ा वीरान मौसम है कभी मिलने चले आओ;
    हर एक जानिब तेरा ग़म है कभी मिलने चले आओ;

    हमारा दिल किसी गहरी जुदाई के भँवर में है;
    हमारी आँख भी नम है कभी मिलने चले आओ;

    मेरे हम-राह अगरचे दूर तक लोगों की रौनक़ है;
    मगर जैसे कोई कम है कभी मिलने चले आओ;

    तुम्हें तो इल्म है मेरे दिल-ए-वहशी के ज़ख़्मों को;
    तुम्हारा वस्ल मरहम है कभी मिलने चले आओ;

    अँधेरी रात की गहरी ख़मोशी और तनहा दिल;
    दिए की लौ भी मद्धम है कभी मिलने चले आओ;

    हवाओं और फूलों की नई ख़ुशबू बताती है;
    तेरे आने का मौसम है कभी मिलने चले आओ।
    ~ Adeem Hashmi
  • तेरे लिए चलते थे...

    तेरे लिए चलते थे हम तेरे लिए ठहर गए;
    तू ने कहा तो जी उठे तू ने कहा तो मर गए;

    वक़्त ही जुदाई का इतना तवील हो गया;
    दिल में तेरे विसाल के जितने थे ज़ख़्म भर गए;

    होता रहा मुक़ाबला पानी का और प्यास का;
    सहरा उमड़ उमड़ पड़े दरिया बिफर बिफर गए;

    वो भी ग़ुबार-ए-ख़्वाब था हम ग़ुबार-ए-ख़्वाब थे;
    वो भी कहीं बिखर गया हम भी कहीं बिखर गए;

    आज भी इंतज़ार का वक़्त हुनूत हो गया;
    ऐसा लगा के हश्र तक सारे ही पल ठहर गए;

    इतने क़रीब हो गए अपने रक़ीब हो गए;
    वो भी 'अदीम' डर गया हम भी 'अदीम' डर गए।
    ~ Adeem Hashmi
  • बड़ा वीरान मौसम है...

    बड़ा वीरान मौसम है कभी मिलने चले आओ;
    हर एक जानिब तेरा ग़म है कभी मिलने चले आओ;

    हमारा दिल किसी गहरी जुदाई के भँवर में है;
    हमारी आँख भी नम है कभी मिलने चले आओ;

    मेरे हम-राह अगरचे दूर तक लोगों की रौनक़ है;
    मगर जैसे कोई कम है कभी मिलने चले आओ;

    तुम्हें तो इल्म है मेरे दिल-ए-वहशी के ज़ख़्मों को;
    तुम्हारा वस्ल मरहम है कभी मिलने चले आओ;

    अँधेरी रात की गहरी ख़मोशी और तनहा दिल;
    दिए की लौ भी मद्धम है कभी मिलने चले आओ;

    हवाओं और फूलों की नई ख़ुशबू बताती है;
    तेरे आने का मौसम है कभी मिलने चले आओ।
    ~ Adeem Hashmi
  • हुआ है जो सदा उस को नसीबों का लिखा समझा;
    'अदीम' अपने किए पर मुझ को पछताना नहीं आता।
    ~ Adeem Hashmi