क्यों परखते हो सवालों से जवाबों को 'अदीम'; होंठ अच्छे हों तो समझो कि सवाल अच्छा है! |
कुछ हिज्र के मौसम ने सताया नहीं इतना, कुछ हम ने तेरा सोग मनाया नहीं इतना; कुछ तेरी जुदाई की अज़िय्यत भी कड़ी थी, कुछ दिल ने भी ग़म तेरा मनाया नहीं इतना; क्यूँ सब की तरह भीग गई हैं तेरी पलकें, हम ने तो तुझे हाल सुनाया नहीं इतना; कुछ रोज़ से दिल ने तेरी राहें नहीं देखीं, क्या बात है तू याद भी आया नहीं इतना; क्या जानिए इस बे-सर-ओ-सामानी-ए-दिल ने, पहले तो कभी हम को रुलाया नहीं इतना। |
एक खिलौना टूट जाएगा नया मिल जाएगा; मैं नहीं तो कोई तुझ को दूसरा मिल जाएगा; भागता हूँ हर तरफ़ ऐसे हवा के साथ साथ; जिस तरह सच मुच मुझे उस का पता मिल जाएगा। |
एक खिलौना टूट जाएगा... एक खिलौना टूट जाएगा नया मिल जाएगा; मैं नहीं तो कोई तुझ को दूसरा मिल जाएगा; भागता हूँ हर तरफ़ ऐसे हवा के साथ साथ; जिस तरह सच मुच मुझे उस का पता मिल जाएगा; किस तरह रोकोगे अश्कों को पस-ए-दीवार-ए-चश्म; ये तो पानी है इसे तो रास्ता मिल जाएगा; एक दिन तो ख़त्म होगी लफ़्ज़ ओ मानी की तलाश; एक दिन तो मुझ को मेरा मुद्दा मिल जाएगा; छोड़ ख़ाली घर को आ बाहर चलें घर से 'अदीम'; कुछ नहीं तो कोई चेहरा चाँद सा मिल जाएगा। |
इक खिलौना टूट जाएगा... इक खिलौना टूट जाएगा नया मिल जाएगा; मैं नहीं तो कोई तुझ को दूसरा मिल जाएगा; भागता हूँ हर तरफ़ ऐसे हवा के साथ साथ; जिस तरह सच मुच मुझे उस का पता मिल जाएगा; किस तरह रोकोगे अश्कों को पस-ए-दीवार-ए-चश्म; ये तो पानी है इसे तो रास्ता मिल जाएगा; एक दिन तो ख़त्म होगी लफ़्ज़ ओ मानी की तलाश; एक दिन तो मुझ को मेरा मुद्दा मिल जाएगा; छोड़ ख़ाली घर को आ बाहर चलें घर से 'अदीम'; कुछ नहीं तो कोई चेहरा चाँद सा मिल जाएगा। |
कुछ हिज्र के मौसम... कुछ हिज्र के मौसम ने सताया नहीं इतना; कुछ हम ने तेरा सोग मनाया नहीं इतना; कुछ तेरी जुदाई की अज़िय्यत भी कड़ी थी; कुछ दिल ने भी ग़म तेरा मनाया नहीं इतना; क्यों सब की तरह भीग गई हैं तेरी पलकें; हम ने तो तुझे हाल सुनाया नहीं इतना; कुछ रोज़ से दिल ने तेरी राहें नहीं देखीं; क्या बात है तू याद भी आया नहीं इतना; क्या जानिए इस बे-सर-ओ-सामानी-ए-दिल ने; पहले तो कभी हम को रुलाया नहीं इतना। |
बड़ा वीरान मौसम है कभी मिलने चले आओ; हर एक जानिब तेरा ग़म है कभी मिलने चले आओ; हमारा दिल किसी गहरी जुदाई के भँवर में है; हमारी आँख भी नम है कभी मिलने चले आओ; मेरे हम-राह अगरचे दूर तक लोगों की रौनक़ है; मगर जैसे कोई कम है कभी मिलने चले आओ; तुम्हें तो इल्म है मेरे दिल-ए-वहशी के ज़ख़्मों को; तुम्हारा वस्ल मरहम है कभी मिलने चले आओ; अँधेरी रात की गहरी ख़मोशी और तनहा दिल; दिए की लौ भी मद्धम है कभी मिलने चले आओ; हवाओं और फूलों की नई ख़ुशबू बताती है; तेरे आने का मौसम है कभी मिलने चले आओ। |
तेरे लिए चलते थे... तेरे लिए चलते थे हम तेरे लिए ठहर गए; तू ने कहा तो जी उठे तू ने कहा तो मर गए; वक़्त ही जुदाई का इतना तवील हो गया; दिल में तेरे विसाल के जितने थे ज़ख़्म भर गए; होता रहा मुक़ाबला पानी का और प्यास का; सहरा उमड़ उमड़ पड़े दरिया बिफर बिफर गए; वो भी ग़ुबार-ए-ख़्वाब था हम ग़ुबार-ए-ख़्वाब थे; वो भी कहीं बिखर गया हम भी कहीं बिखर गए; आज भी इंतज़ार का वक़्त हुनूत हो गया; ऐसा लगा के हश्र तक सारे ही पल ठहर गए; इतने क़रीब हो गए अपने रक़ीब हो गए; वो भी 'अदीम' डर गया हम भी 'अदीम' डर गए। |
बड़ा वीरान मौसम है... बड़ा वीरान मौसम है कभी मिलने चले आओ; हर एक जानिब तेरा ग़म है कभी मिलने चले आओ; हमारा दिल किसी गहरी जुदाई के भँवर में है; हमारी आँख भी नम है कभी मिलने चले आओ; मेरे हम-राह अगरचे दूर तक लोगों की रौनक़ है; मगर जैसे कोई कम है कभी मिलने चले आओ; तुम्हें तो इल्म है मेरे दिल-ए-वहशी के ज़ख़्मों को; तुम्हारा वस्ल मरहम है कभी मिलने चले आओ; अँधेरी रात की गहरी ख़मोशी और तनहा दिल; दिए की लौ भी मद्धम है कभी मिलने चले आओ; हवाओं और फूलों की नई ख़ुशबू बताती है; तेरे आने का मौसम है कभी मिलने चले आओ। |
हुआ है जो सदा उस को नसीबों का लिखा समझा; 'अदीम' अपने किए पर मुझ को पछताना नहीं आता। |