Akhtar Ansari Hindi Shayari

  • साफ़ ज़ाहिर है निगाहों से कि हम मरते हैं,
    मुँह से कहते हुए ये बात मगर डरते हैं;

    एक तस्वीर-ए-मोहब्बत है जवानी गोया,
    जिस में रंगो की एवज़ ख़ून-ए-जिगर भरते हैं;

    इशरत-ए-रफ़्ता ने जा कर न किया याद हमें,
    इशरत-ए-रफ़्ता को हम याद किया करते हैं;

    आसमां से कभी देखी न गई अपनी ख़ुशी,
    अब ये हालात हैं कि हम हँसते हुए डरते हैं;

    शेर कहते हो बहुत ख़ूब तुम "अख्तर" लेकिन,
    अच्छे शायर ये सुना है कि जवां मरते हैं।
    ~ Akhtar Ansari
  • जब से मुँह को लग गई अख़्तर मोहब्बत की शराब,<br/>
बे-पिए आठों पहर मदहोश रहना आ गया।Upload to Facebook
    जब से मुँह को लग गई अख़्तर मोहब्बत की शराब,
    बे-पिए आठों पहर मदहोश रहना आ गया।
    ~ Akhtar Ansari
  • मेरी ख़बर तो किसी को नहीं मगर 'अख़्तर';
    ज़माना अपने लिए होशियार कैसा है।
    ~ Akhtar Ansari
  • मेरी ख़बर तो किसी को नहीं मगर 'अख़्तर';
    ज़माना अपने लिए होशियार कैसा है।
    ~ Akhtar Ansari