ये दश्त वो है जहाँ रास्ता नहीं मिलता; अभी से लौट चलो घर अभी उजाला है! |
बहुत क़रीब रही है ये ज़िंदगी हम से; बहुत अज़ीज़ सही ऐतबार कुछ भी नहीं! |
तू कहानी ही के पर्दे में भली लगती है; ज़िंदगी तेरी हक़ीक़त नहीं देखी जाती! |
किसी के तुम हो किसी का ख़ुदा है दुनिया में; मेरे नसीब में तुम भी नहीं ख़ुदा भी नहीं! |