Aklakh Mohammad Khan Hindi Shayari

  • सीने में जलन...

    सीने में जलन, आँखों में तूफ़ान-सा क्यों है;
    इस शहर में हर शख़्स परेशान-सा क्यों है;

    दिल है तो धड़कने का बहाना कोई ढूँढे;
    पत्थर की तरह बेहिस-ओ-बेजान-सा क्यों है;

    तन्हाई की ये कौन-सी मंज़िल है रफ़ीक़ो;
    ता-हद्द-ए-नज़र एक बियाबान-सा क्यों है;

    हमने तो कोई बात निकाली नहीं ग़म की;
    वो ज़ूद-ए-पशेमान, परेशान-सा क्यों है;

    क्या कोई नई बात नज़र आती है हममें;
    आईना हमें देख के हैरान-सा क्यों है।
    ~ Aklakh Mohammad Khan
  • सीने में जलन

    सीने में जलन, आँखों में तूफ़ान-सा क्यूँ है;
    इस शहर में हर शख़्स परेशान-सा क्यूँ है;

    दिल है तो धड़कने का बहाना कोई ढूँढे;
    पत्थर की तरह बेहिस-ओ-बेजान-सा क्यूँ है;

    तन्हाई की ये कौन-सी मन्ज़िल है रफ़ीक़ो;
    ता-हद्द-ए-नज़र एक बियाबान-सा क्यूँ है;

    हमने तो कोई बात निकाली नहीं ग़म की;
    वो ज़ूद-ए-पशेमान, परेशान-सा क्यूँ है;

    क्या कोई नई बात नज़र आती है हममें;
    आईना हमें देख के हैरान-सा क्यूँ है।
    ~ Aklakh Mohammad Khan