Anjum Irfani Hindi Shayari

  • अब इस सादा कहानी को नया एक मोड़ देना था,<br/>
ज़रा सी बात पर अहद-ए-वफ़ा ही तोड़ देना था,<br/>
महकता था बदन हर वक़्त जिस के लम्स-ए-खुशबू से,<br/>
वही गुलदस्ता दहलीज़-ए-खिजाँ पर छोड़ देना था।Upload to Facebook
    अब इस सादा कहानी को नया एक मोड़ देना था,
    ज़रा सी बात पर अहद-ए-वफ़ा ही तोड़ देना था,
    महकता था बदन हर वक़्त जिस के लम्स-ए-खुशबू से,
    वही गुलदस्ता दहलीज़-ए-खिजाँ पर छोड़ देना था।
    ~ Anjum Irfani