Asad Badayuni Hindi Shayari

  • मेरी रुस्वाई के अस्बाब हैं मेरे अंदर;</br>
आदमी हूँ सो बहुत ख़्वाब हैं मेरे अंदर!</br></br>
*रुस्वाई: बदनामी</br>
*अस्बाब: कारण, हालातUpload to Facebook
    मेरी रुस्वाई के अस्बाब हैं मेरे अंदर;
    आदमी हूँ सो बहुत ख़्वाब हैं मेरे अंदर!

    *रुस्वाई: बदनामी
    *अस्बाब: कारण, हालात
    ~ Asad Badayuni
  • सब एक चिराग के परवाने होना चाहते हैं;<br/>
अजीब लोग हैं दीवाने होना चाहते हैं!Upload to Facebook
    सब एक चिराग के परवाने होना चाहते हैं;
    अजीब लोग हैं दीवाने होना चाहते हैं!
    ~ Asad Badayuni
  • देखने के लिए सारा आलम भी कम;<br/>
चाहने के लिए एक चेहरा बहुत!Upload to Facebook
    देखने के लिए सारा आलम भी कम;
    चाहने के लिए एक चेहरा बहुत!
    ~ Asad Badayuni