Atish Hindi Shayari

  • ये आरज़ू थी...

    ये आरज़ू थी तुझे गुल के रूबरू करते;
    हम और बुलबुल-ए-बेताब गुफ़्तगू करते;

    पयाम बर न मयस्सर हुआ तो ख़ूब हुआ;
    ज़बान-ए-ग़ैर से क्या शर की आरज़ू करते;

    मेरी तरह से माह-ओ-महर भी हैं आवारा;
    किसी हबीब को ये भी हैं जुस्तजू करते;

    जो देखते तेरी ज़ंजीर-ए-ज़ुल्फ़ का आलम;
    असीर होने के आज़ाद आरज़ू करते;

    न पूछ आलम-ए-बरगश्ता तालि-ए-'आतिश';
    बरसती आग में जो बाराँ की आरज़ू करते।
    ~ Atish
  • तड़पते हैं न रोते हैं न हम फ़रियाद करते हैं;
    सनम की याद में हर-दम ख़ुदा को याद करते हैं;
    उन्हीं के इश्क़ में हम नाला-ओ-फ़रियाद करते हैं;
    इलाही देखिये किस दिन हमें वो याद करते हैं।
    ~ Atish
  • रख के मुँह सो गए हम आतिशीं रुख़्सारों पर;
    दिल को था चैन तो नींद आ गई अँगारों पर।
    ~ Atish
  • ये आरज़ू थी तुझे गुल के...

    ये आरज़ू थी तुझे गुल के रूबरू करते;
    हम और बुलबुल-ए-बेताब गुफ़्तगू करते;

    पयाम बर न मयस्सर हुआ तो ख़ूब हुआ;
    ज़बान-ए-ग़ैर से क्या शर की आरज़ू करते;

    मेरी तरह से माह-ओ-महर भी हैं आवारा;
    किसी हबीब को ये भी हैं जुस्तजू करते;

    जो देखते तेरी ज़ंजीर-ए-ज़ुल्फ़ का आलम;
    असीर होने के आज़ाद आरज़ू करते;

    न पूछ आलम-ए-बरगश्ता तालि-ए-आतिश;
    बरसती आग में जो बाराँ की आरज़ू करते।
    ~ Atish
  • चुरा के मुट्ठी में दिल को छिपाए बैठे है;<br/>
बहाना यह है कि मेहंदी लगाए बैठे है।Upload to Facebook
    चुरा के मुट्ठी में दिल को छिपाए बैठे है;
    बहाना यह है कि मेहंदी लगाए बैठे है।
    ~ Atish