Bismil Saeedi Hindi Shayari

  • हम ने काँटों को भी नरमी से छुआ है अक्सर;</br>
लोग बेदर्द हैं फूलों को मसल देते हैं!Upload to Facebook
    हम ने काँटों को भी नरमी से छुआ है अक्सर;
    लोग बेदर्द हैं फूलों को मसल देते हैं!
    ~ Bismil Saeedi
  • ख़ुश्बू को फैलने का बहुत शौंक है मगर;<br/>
मुमकिन नहीं हवाओं से रिश्ता किए बग़ैर!Upload to Facebook
    ख़ुश्बू को फैलने का बहुत शौंक है मगर;
    मुमकिन नहीं हवाओं से रिश्ता किए बग़ैर!
    ~ Bismil Saeedi