ग़ज़ब किया तेरे वादे पे ऐतबार किया; तमाम रात क़यामत का इंतिज़ार किया! |
इन्हीं सिफ़ात से होता है आदमी मशहूर, जो लुत्फ़ आम वो करते ये नाम किस का था; हर एक से कहते हैं क्या 'दाग़' बेवफ़ा निकला, ये पूछे उन से कोई वो ग़ुलाम किस का था! *सिफ़ात: खूबी *लुत्फ़: कृपा |
हमारे ख़त के तो पुर्ज़े किए पढ़ा भी नहीं, सुना जो तूने ब-दिल वो पयाम किस का था; उठाई क्यों न क़यामत अदू के कूचे में, लिहाज़ आप को वक़्त-ए-ख़िराम किस का था! *पुर्ज़े: टुकड़े टुकड़े *ब-दिल: दिल से *पयाम: संदेश *अदू: शत्रु *कूचे: गलियाँ |
रहा न दिल में वो बेदर्द और दर्द रहा, मुक़ीम कौन हुआ है मक़ाम किस का था; न पूछ-गछ थी किसी की वहाँ न आव-भगत, तुम्हारी बज़्म में कल एहतिमाम किस का था! *बज़्म: सभा *मुश्ताक़: शौक़ रखने वाला |
तुम्हारे ख़त में नया एक सलाम किस का था, न था रक़ीब तो आख़िर वो नाम किस का था; वो क़त्ल कर के मुझे हर किसी से पूछते हैं, ये काम किस ने किया है ये काम किस का था! |