Faisal Imtiyaz Khan Hindi Shayari

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यूँ अपनी हसरतों को जगाना पड़ा मुझे!Upload to Facebook
    पर्दा तुम्हारे रुख़ से हटाना पड़ा मुझे;
    यूँ अपनी हसरतों को जगाना पड़ा मुझे!
    ~ Faisal Imtiyaz Khan